जलवायु परिवर्तन से अफ्रीकी हाथियों के लिए बढ़ रहा पानी का संकट

सिडनीः अफ्रीकी हाथियों की संख्या 1800 के दशक में लगभग 2.6 करोड़ थी, जो आज घटकर 415,000 हो गई है। काफी हद तक यूरोपीय उपनिवेशीकरण, अवैध शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण ऐसा हुआ। अब इस प्रजाति को एक और गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।जलवायु परिवर्तन के कारण अफ्रीका के.

सिडनीः अफ्रीकी हाथियों की संख्या 1800 के दशक में लगभग 2.6 करोड़ थी, जो आज घटकर 415,000 हो गई है। काफी हद तक यूरोपीय उपनिवेशीकरण, अवैध शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण ऐसा हुआ। अब इस प्रजाति को एक और गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।जलवायु परिवर्तन के कारण अफ्रीका के अधिकतर हिस्सों में सूखा लंबा और अधिक गंभीर हो रहा है। यह हाथियों के आवासों को नुकसान पहुंचाता है और उन्हें जरूरी पानी से भी वंचित करता है। अपने अनोखे शरीर विज्ञन के कारण, अफ्रीकी हाथियों को जीवित रहने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पानी की आवशय़कता होती है। अफ्रीकी सवाना हाथी लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध है। यदि स्थिति नहीं बदलती है, तो अफ्रीका- वास्तव में, दुनिया- अपनी सबसे प्रतिष्ठित पशु प्रजातियों में से एक को खो सकती है।

हाथी न केवल अपने पारिस्थितिक, सांस्कृतिक और आर्थिक मूल्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। वे एक महत्वपूर्ण प्रजाति भी हैं। यानी, वे पारिस्थितिक तंत्र को एक साथ रखने में मदद करते हैं। इसका मतलब है कि उनके विलुप्त होने के दूरगामी परिणाम होंगे। कई अफ्रीकी पारिस्थितिक तंत्र हाथियों के जीवन के इर्द-गिर्द घूमते हैं। हाथियों के खाने की आदतें, जैसे पेड़ों को धक्का देना और छाल को छीलना, जंगली वनस्पतियों को घास के मैदानों में बदल सकती हैं। इससे छोटी प्रजातियों के आने-जाने के लिए जगह बनती है। सूखी नदी के तल में पानी के लिए उनकी खुदाई से छोटे छिद्र बन जाते हैं जिनका उपयोग अन्य जानवर कर सकते हैं। इसके साथ जब हाथी आगे बढ़ते हैं, अपने मल के जरिए बीज फैलाने में मदद करते हैं।

जलवायु परिवर्तन के कारण दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका में लंबे समय से सूखा पड़ रहा है। कुछ क्षेत्र 20 से अधिक वर्षों से सूखे की चपेट में हैं। पानी की कमी से हाथियों पर काफी असर पड़ा है। वर्ष 2003 के अध्ययन से पता चलता है कि जिम्बाब्वे में हाथी सूखे के दौरान मर रहे थे। और 2016 में, मौसम का शुष्क अल नीनो पैटर्न दक्षिणी अफ्रीका में आया, तो अधिक हाथियों की मौत की खबरें आईं। इससे स्थानीय संरक्षण समूह जमीन की गहरी खुदाई कर पानी की समस्या दूर करने के लिए आगे आए। सूखे का लंबा मौसम भोजन की उपलब्धता को भी कम कर सकता है, जिससे हाथी भूखे रह सकते हैं। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि युवा हाथी मर जाते हैं या ठीक से विकसित नहीं होते हैं, क्योंकि उनकी प्यासी मां को कम दूध होता है।

जब हाथियों को उच्च आंतरिक गर्मी का अनुभव होता है, तो यह कोशिकाओं, ऊतकों और यकृत जैसे अंगों के कार्य को बाधित कर सकता है और उनके बीमार होने और मरने का कारण बन सकता है। मनुष्य और अन्य जानवर भी गर्मी से व्याकुल हो जाते हैं। लेकिन हाथी विशेष रूप से कमजोर होते हैं क्योंकि वे पसीना नहीं बहा सकते। गर्मी हाथियों के प्राकृतिक चयापचय और शारीरिक गतिविधि के साथ-साथ पर्यावरण से अवशोषित होने के माध्यम से जमा होती है। लेकिन यह हमेशा प्रभावी रूप से नष्ट नहीं होती है। हाथियों की मोटी चमड़ी गर्मी के नुकसान को धीमा कर देती है और उनकी पसीने की ग्रंथियों की कमी इसे बढ़ा देती है। हाथी एक दिन में कई सौ लीटर पानी पीकर खुद को ठंडा करते हैं। हाथियों को आजाद घूमने देना चाहिए। हाथियों को पानी की आवश्यकता होने पर कृत्रिम जल स्नेत बनाना एक सामान्य प्रबंधन हस्तक्षेप है। इसमें पाइप, बोर और पंप का इस्तेमाल शामिल है। लेकिन इस उपाय से परेशानी हो सकती है। कभी-कभी, स्थानीय लोगों द्वारा आवश्यकता आपूर्ति से पानी प्राप्त किया जाता है। बड़ी संख्या में हाथियों का पानी के आसपास इकट्ठा होना स्थानीय पर्यावरण को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है और अन्य जानवरों के लिए भोजन की उपलब्धता को कम कर सकता है।

- विज्ञापन -

Latest News