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भारत की होली, चीन का वसंत: रंगों और खुशियों का संगम

भले ही ये त्योहार अलग-अलग हों, लेकिन इनकी रूह एक जैसी है – परिवार, प्यार और नई शुरुआत का जश्न।

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इंटरनेशनल डेस्क: वसंत आ गया है, और इसके साथ ही खुशियों की बहार भी! भारत और चीन दोनों में इस मौसम का स्वागत अपने-अपने अंदाज़ में किया जाता है – चीन में वसंत महोत्सव और भारत में होली। भले ही ये त्योहार अलग-अलग हों, लेकिन इनकी रूह एक जैसी है – परिवार, प्यार और नई शुरुआत का जश्न।

सबसे पहले बात करते हैं परिवार की। चीन का वसंत महोत्सव हो या भारत की होली, दोनों ही त्योहार अपनों के साथ वक्त बिताने का बेहतरीन बहाना हैं। चीन में परिवार वाले मिलकर च्याओज़ि (डंपलिंग्स) खाते हैं, तो भारत में होली पर मीठी-मीठी गुजिया का मज़ा लिया जाता है। पकवान भले ही अलग हों, पर त्योहारों में जो अपनापन और प्यार झलकता है, वो दोनों तरफ एक जैसा है।

ब बात करें नई शुरुआत की। चीन में वसंत महोत्सव पुराने साल को अलविदा कहने और नई उम्मीदों के साथ आगे बढ़ने का प्रतीक है। भारत में होली भी कुछ ऐसा ही संदेश देती है – बुराई पर अच्छाई की जीत और जिंदगी में नए रंग भरने का त्योहार। दोनों ही त्योहारों में यह एहसास होता है कि हर दिन एक नई शुरुआत हो सकती है। खाने-पीने के शौकीनों के लिए तो ये दोनों त्योहार किसी स्वर्ग से कम नहीं! चीन में समृद्धि के प्रतीक के रूप में सोने की सिल्लियों के आकार के पकौड़े और पूरी मछली परोसी जाती है, जबकि भारत में गुजिया, ठंडाई और तरह-तरह के पकवानों से हर घर महक उठता है।

अब रंगों की बात करें, तो भला होली का ज़िक्र कैसे न हो! भारत में होली रंगों की बारिश का उत्सव है, जहां हर रंग के पीछे एक खूबसूरत मतलब छुपा है – लाल प्यार का प्रतीक है, हरा नए जीवन का। मज़ेदार बात ये है कि चीन में भी लाल रंग का खास महत्व है। वहां लाल रंग को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है और यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाने के लिए इस्तेमाल होता है। लगता है, रंगों की इस खूबसूरती को दोनों संस्कृतियों ने दिल से अपनाया है।

वसंत महोत्सव सिर्फ रंगों तक सीमित नहीं है! चीन में इस दौरान कई सांस्कृतिक परफॉर्मेंस होते हैं, जैसे दक्षिणी चीन का यिंगगे नृत्य। यह नृत्य मार्शल आर्ट, ओपेरा और रंग-बिरंगे परिधानों का शानदार मिश्रण है, जो दुर्भाग्य को भगाने और सौभाग्य का स्वागत करने के लिए किया जाता है। इन त्योहारों की कहानियाँ भी बड़ी दिलचस्प हैं। चीन में “नियेन” नाम के राक्षस की कहानी मशहूर है, जो लाल रंग और तेज़ आवाज़ से डरता है, इसलिए वहां पटाखे जलाए जाते हैं और लाल रंग से सजावट की जाती है। भारत में प्रह्लाद और होलिका की कथा सुनाई जाती है, जहाँ बुराई पर अच्छाई की जीत होती है।

ये कहानियाँ न सिर्फ सुनने में मज़ेदार हैं, बल्कि उम्मीद और साहस की सीख भी देती हैं। आखिर में, चाहे चीन का वसंत महोत्सव हो या भारत की होली, दोनों ही त्योहार हमें ये सिखाते हैं कि खुशियाँ बांटने से बढ़ती हैं। ये रंग, ये हंसी, ये कहानियाँ – सब हमें जोड़ने का काम करती हैं, चाहे हम दुनिया के किसी भी कोने में हों।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

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