बीजिंग ने यह “चमत्कार” कैसे किया?

दुनियाभर के सभी देश प्रदूषण से निजात पाना चाहते हैं। लेकिन प्रदूषण को कैसे अलविदा कहा जाए, ये बीजिंग के अनुभव से सीखा जा सकता है। ऐसा हम नहीं, हाल-फिलहाल में जारी किए गए आंकड़े बता रहे हैं… जिनके मुताबिक पिछले साल चीन की राजधानी बीजिंग में रहने वाले लोगों ने साल के 288 दिनों.

दुनियाभर के सभी देश प्रदूषण से निजात पाना चाहते हैं। लेकिन प्रदूषण को कैसे अलविदा कहा जाए, ये बीजिंग के अनुभव से सीखा जा सकता है। ऐसा हम नहीं, हाल-फिलहाल में जारी किए गए आंकड़े बता रहे हैं… जिनके मुताबिक पिछले साल चीन की राजधानी बीजिंग में रहने वाले लोगों ने साल के 288 दिनों यानी करीब सालभर ताजी और साफ़ हवा में सांस ली।
दरअसल, एक लंबे अरसे से बीजिंग प्रदूषण से ही नहीं, बल्कि उत्तर और पश्चिमोत्तर क्षेत्र से आने वाले रेतीले तूफान और क्षेत्र के औद्योगीकरण के कारण होने वाले वायु प्रदूषण से भी पीड़ित राजधानी रही है। बीजिंग को हर साल कई खतरनाक रेतीले तूफानों से जूझना पड़ता था। इतना ही नहीं, कोयले के इस्तेमाल और गाड़ियों की बढ़ती तादाद ने इस स्थिति को और भी गंभीर बना दिया था।
साल 2013 में, जब बीजिंग ने प्रति घंटा एयर पोलूशन इंडेक्स जारी करना शुरू किया गया, तो यह पाया कि बीजिंग में करीब आधे साल ही हवा की क्वालिटी अच्छी रहती है। तब, केंद्र और स्थानीय सरकारों ने पर्यावरण संरक्षण नियमों को मजबूत करने का फैसला किया। और, उन्हीं फैसलों का नतीजा आज हम सभी के सामने है- बीजिंग में ताजी हवा और नीला आसमान…।
चलिए, अब आपको बताते हैं आखिर बीजिंग ने यह चमत्कार किया कैसे?
दरअसल, प्रदूषण कम करने की इस मुहिम में सबसे पहला कदम था- कोयले की खदानों को कम करना। साल 2013 से पहले, बीजिंग में बिजली और हीटिंग के लिए कोयले का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन पिछले एक दशक में, शांक्सी प्रांत में सैकड़ों कोयला खदानों को बंद कर दिया गया। अब बिजली पैदा करने के लिए स्वच्छ ईंधन और हीटिंग के लिए गैस या सोलर एनर्जी का इस्तेमाल किया जाने लगा है।
बीजिंग से सटा हपेई प्रांत अपने फलते-फूलते लौह और इस्पात उद्योग के लिए जाना जाता था, लेकिन प्रदूषण कम करने के लिए चीन ने स्टील का उत्पादन कम कर दिया, जिससे कई प्लांट बंद हो गए।
साथ ही, बीजिंग सरकार ने परिवहन, उद्योग और बिजली उत्पादन जैसे विभिन्न स्रोतों से होने वाले प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए सख्त नियम बनाए। इन नियमों में गाड़ियों से निकलने वाले धुंए के लिए सख्त स्टैंडर्ड, ….इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों को प्रोत्साहित करना, लॉटरी और नीलामी के जरिए गाड़ियों की संख्या सीमित करना आदि शामिल है। फ़ैक्टरियों ने भी कम प्रदूषण फैलाने के लिए अपनी प्रक्रियाओं को उन्नत किया है, और क्लीन एनर्जी सोर्सिस ने गंदे कोयले से चलने वाले पावर प्लांट की जगह ले ली है।
इसके अलावा, पर्यावरण की सही देख-रेख करने से भी बीजिंग को काफी फायदा हुआ है। प्रदूषण के स्तर पर नज़र बनाए रखने के लिए शहर के चारों ओर कई एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन बनाए गए। इस डेटा से शहरों में प्रदूषण स्रोतों की पहचान करने और उनसे निपटने के लिए जल्द कार्रवाई करना काफी आसान हो गया। इस डेटा का उपयोग करके, शहर सबसे ज्यादा प्रदूषण वाली जगहों से निपटने के लिए तुरंत कार्रवाई कर सकता है। इस सावधानीपूर्वक निगरानी से उन्हें प्रदूषण स्रोतों की पहचान करने और उनसे निपटने के प्रभावी तरीके खोजने में मदद मिली है।
इसके अलावा, चीन सरकार के लिए बीजिंग के उत्तर और पश्चिमोत्तर से आनी वाली रेतीली हवाओं को रोकना भी जरूरी था, इसलिए उस दिशा में कई अरबों की संख्या में पेड़ लगाकर रेतीले तूफ़ान की तीव्रता और संख्या को कम किया गया, जिससे बीजिंग निवासियों को राहत मिली है। हरियाली बढ़ाने के लिए जगह-जगह पेड़-पौधे लगाकर, पार्क बनाकर और छत पर बगीचों को बढ़ावा देकर बीजिंग को हरा-भरा बनाया गया।
सरकारी स्तर पर होने वाले इन कामों के अलावा जनता ने भी इसमें अपनी भागीदारी पूरी तरह निभाई। लोगों को प्रदूषण के बारे में जागरूक करने के लिए कई कैंपेन चलाए गए। जनता को समझाया गया कि अपनी गाड़ी लेकर निकलने की बजाए पब्लिक ट्रांसपोर्ट या इलेक्ट्रिक गाड़ियों को तवज्जो दी जाए। लोगों को पैदल चलने के लिए प्रोत्साहित किया गया जिससे न सिर्फ पोलूशन कम करने में मदद मिली बल्कि यह सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद साबित हुआ।
जैसे बूंद-बूंद से घड़ा भरता है, वैसे ही बीजिंग की पिछले कई सालों की मेहनत रंग लाई। और इन्हीं कोशिशों का नतीजा आज हम सबके सामने है कि पिछले 9 सालों में बीजिंग की हवा में मौजूद हानिकारक कणों में 63 फीसदी की गिरावट आई है।
हालांकि, बीजिंग के लिए यह जल्दी कर पाना असंभव के समान था, क्योंकि कई विकसित देशों को अपनी हवा को शुद्ध करने में दशकों लग गए थे। लेकिन अपनी योजना को सफल करने में जूठे बीजिंग ने यह चमत्कार कर दिखाया। पिछले 9 सालों में, बीजिंग में PM2.5 की सांद्रता 63 प्रतिशत घटी है, जो प्रति वर्ष औसतन 7.9 प्रतिशत की गिरावट है।
इस सफलता का पूरा श्रेय केंद्रीय और स्थानीय सरकारों के बीच समन्वय के साथ-साथ आम जनता को जाता है, जिन्होंने मिलकर इस “चमत्कार” को अंजाम दिया। उम्मीद है बीजिंग की यह सफलता प्रदूषण से जूझ रहे बाकी देशों के लिए काफी मददगार साबित होगी।
(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

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