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भारतीय संगीतकारों की युन्नान यात्रा से चीन-भारत मानविकी आदान-प्रदान का पुल स्थापित

14 से 19 अक्टूबर तक, कोलकाता में चीनी महावाणिज्य दूतावास के निमंत्रण पर, भारतीय संगीतकार, गीतकार, कंडक्टर, गायक और संगीत प्रशिक्षक से गठित 6 सदस्यीय संगीत प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत का दौरा किया। इस दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने क्रमिक रूप से युन्नान मिनत्सू विश्वविद्यालय, युन्नान सामाजिक विज्ञान अकादमी, युन्नान तेहोंग ताई और.

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14 से 19 अक्टूबर तक, कोलकाता में चीनी महावाणिज्य दूतावास के निमंत्रण पर, भारतीय संगीतकार, गीतकार, कंडक्टर, गायक और संगीत प्रशिक्षक से गठित 6 सदस्यीय संगीत प्रतिनिधिमंडल ने दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत का दौरा किया। इस दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने क्रमिक रूप से युन्नान मिनत्सू विश्वविद्यालय, युन्नान सामाजिक विज्ञान अकादमी, युन्नान तेहोंग ताई और चिंगफो जातीय स्वायत्त प्रिफेक्चर के मांगशी शहर, लोंगछ्वान काउंटी और रेइली नगर, युन्नान प्रांतीय साहित्य और कला संग्रहालय आदि स्थानों की यात्रा की।

उन्होंने चीनी विशेषज्ञों, विद्वानों, शिक्षकों, विद्याथियों, लोक गीत गायकों, पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाने वाले कलाकारों आदि के साथ संवाद किया और बातचीत की। संग्रहालयों और संस्थाओं के अवलोकन से उन्होंने युन्नान में जातीय संस्कृति की जानकारी ली और चीन-भारत मानविकी आदान-प्रदान किया।
18 अक्टूबर को, चीनी और भारतीय संगीतकारों ने युन्नान साहित्य और कला संग्रहालय में अद्भुत कलात्मक आदान-प्रदान किया। दोनों देशों के संगीतकारों ने लोक गीत गाने, पारंपरिक वाद्ययंत्र बजाने, जातीय नृत्य प्रदर्शित करने के तरीके से आपसी समझ को बढ़ाया।

कोलकाता में चीनी महावाणिज्य दूतावास के द्विपक्षीय अनुभाग के निदेशक चांग चीचोंग ने जानकारी देते हुए कहा कि इस बार युन्नान का दौरा करने आए 6 भारतीय संगीतकारों में से 4 पहली बार चीन आए। युन्नान का प्राकृतिक दृश्य बहुत सुन्दर है, और जातीय संस्कृति रंगारंग है। इस वर्ष महावाणिज्य दूतावास ने लोक कला एकत्र करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान करने के लिए दो समूहों में भारतीय कलाकारों को आमंत्रित किया, जिससे चीन और भारत के बीच मानविकी आदान-प्रदान का पुल स्थापित किया गया।

इसके अलावा, चांग चीचोंग ने यह भी कहा कि कोलकाता कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर का गृहनगर है और इसकी समृद्ध राष्ट्रीय संस्कृति है। भविष्य में, महावाणिज्य दूतावास युन्नान के कलाकारों को भारत जाने के लिए संगठित करने की भी उम्मीद करेगा, ताकि चीनी और भारतीय सभ्यताओं के बीच आदान-प्रदान और आपसी सीख को बढ़ावा दिया जा सके।

युन्नान की यात्रा के दौरान, इस प्रांत के जातीय रीति-रिवाज़, खानपान संस्कृति, गीत और नृत्य प्रदर्शन ने भारतीय संगीतकारों पर गहरी छाप छोड़ी। प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष जेम्स शिकिये स्वू ने कहा, “मेरे लिए सबसे अविस्मरणीय बात यह है कि सभी लोगों ने मेज के चारों ओर बैठकर भोजन साझा किया और गीत गाकर सभी को आशीर्वाद दिया। यह बहुत गर्म था।” उन्होंने कहा कि अपनी यात्रा के दौरान, वह युन्नान में चिंगफो, ताई, नाशी और अन्य जातीय समूहों के जातीय संगीत से तरोताजा हो गए। उनके मुताबिक, युन्नान जातीय संगीत के साथ भारतीय स्थानीय संगीत को एकीकृत कर सकता है, जिससे युवा पीढ़ी को संगीत निर्माण की अधिक संभावनाएं प्रदान की जा सकती हैं और उनके लिए नए कलात्मक अनुभव लाए जा सकते हैं।

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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