वैश्विक चुनौतियों के लिए भारत का दृष्टिकोण ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ में निहित : Ruchira Kamboj

संयुक्त राष्ट्रः जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए तैयार भारत की राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए उनके देश का दृष्टिकोण ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ के विचार में निहित है और यही सिद्धांत विश्व निकाय के भीतर उसके सहयोग का मार्गदर्शन करता है तथा.

संयुक्त राष्ट्रः जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए तैयार भारत की राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा है कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए उनके देश का दृष्टिकोण ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ के विचार में निहित है और यही सिद्धांत विश्व निकाय के भीतर उसके सहयोग का मार्गदर्शन करता है तथा चंद्रमा पर उतरने की उल्लेखनीय वैज्ञनिक उपलब्धि पर इसके दृष्टिकोण को भी रेखांकित करता है। भारत के चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रुचिरा कंबोज ने यहां विश्व निकाय के पत्रकारों को संबोधित किया।

कंबोज ने कहा, कि ‘कुछ दिन में.. भारत नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा.. वैश्विक चुनौतियों के प्रति हमारा दृष्टिकोण ‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ के विचार में निहित है। यही सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र के भीतर हमारे सहयोग का मार्गदर्शन और चंद्रमा पर उतरने की आज की उल्लेखनीय वैज्ञानिक उपलब्धि पर देश के दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।’’ कंबोज ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी को दोहराया जिन्होंने चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद कहा था कि भारत का सफल चंद्र अभियान सिर्फ भारत की एकमात्र सफलता नहीं है। मोदी ने कहा कि यह ऐसा साल है जब दुनिया भारत की जी-20 अध्यक्षता को भी देखेगी।

उन्होंने कहा, कि ‘‘एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य’ के हमारे दृष्टिकोण की गूंज पूरी दुनिया में है। मानव केंद्रित जिस दृष्टिकोण को हम प्रस्तुत करते हैं उसका पूरी दुनिया में स्वागत किया गया है। हमारा चंद्र मिशन भी इस मानव-केंद्रित दृष्टिकोण पर आधारित है। इसलिए यह सफलता पूरी मानवता से संबंधित है और यह भविष्य में अन्य देशों के चंद्र अभियानों में मदद करेगी।’’ चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतार कर भारत ने इतिहास रच दिया। इसके साथ ही भारत दुनिया के उन देशों की जमात में शामिल हो गया जिनके रोवर चंद्रमा की सतह पर उतरे हैं। लेकिन भारत दुनिया का ऐसा पहला देश है जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर खोज करेगा। भारत से पहले अमेरिका, चीन और पूर्ववर्ती सोवियत संघ चंद्रमा की सतह पर रोवर भेज चुके हैं।’’

भारत ने एक दिसंबर, 2022 को जी-20 की अध्यक्षता ग्रहण की थी और अब तक वह देश भर के शहरों में 200 से अधिक बैठकें और संबंधित कार्यक्रम आयोजित कर चुका है जिसका समापन नयी दिल्ली में 9-10 सितंबर को वैश्विक नेताओं के शिखर सम्मेलन के आयोजन के साथ होगा जिसमें 40 से अधिक राष्ट्र प्रमुख और सरकार के प्रमुख तथा अंतरराष्ट्रीय संगठन हिस्सा लेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 7-10 सितंबर तक नई दिल्ली की यात्रा करेंगे। व्हाइट हाउस ने कहा कि नयी दिल्ली में अपने प्रवास के दौरान बाइडेन जी-20 के नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करेंगे और आर्थिक सहयोग के मंच जी-20 के प्रति अमेरिका की प्रतिबद्धता को दोहराएंगे। अमेरिका 2026 में इसकी मेजबानी करेगा।

मोदी ने जोहानिसबर्ग से ऐतिहासिक चंद्र अभियान को देखा, जहां वह ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए मौजूद हैं। उनका मन मस्तिष्क भी देश के अन्य नागरिकों की तरह ही चंद्रयान-3 पर केंद्रित था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञनिकों और अनुसंधानकर्ताओं के ‘‘वास्तव में वैश्विक स्तरीय’’ उत्कृष्ट कार्य की प्रशंसा करते हुए कंबोज ने कहा, ‘‘इसरो भारत और मानव जाति को बाहरी अंतरिक्ष का लाभ दिलाने वाले विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में शामिल है।’’ कंबोज ने कहा कि चंद्रमा को लक्षय़ बनाकर भारत न केवल वहां तक पहुंचा, बल्कि वह इससे आगे की असीमित संभावनाओं पर भी अपनी दृष्टि बनाए हुए है।

कंबोज ने यहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘इसमें महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने वैज्ञानिकों के समर्पण और प्रतिभा के कारण चंद्रयान-3 की सफलता से भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गया है, जहां दुनिया का कोई भी देश आज तक नहीं पहुंच सका है।’’ उन्होंने कहा, कि ‘यह उपलब्धि न केवल चंद्रमा पर भारत की उपस्थिति की प्रतीक है, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं की भी प्रतीक है। इसके अलावा, यह मानवता के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अज्ञत क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कंबोज ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि सफलता ‘‘हम सभी की है और भविष्य की वैज्ञनिक उपलब्धियों का वादा करती है जिससे पूरी मानवता को फायदा होगा।’’

कंबोज ने कहा, ‘‘चंद्रमा पर लक्ष्य रखकर भारत न केवल उस तक पहुंचा बल्कि उसकी नजर अब आगे की असीमित और अनंत संभावनाओं पर भी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसरो ने कई रॉकेट और उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं.. इसरो के अपने चंद्र और अंतरग्रहीय मिशन, जिसमें अन्य वैज्ञनिक परियोजनाओं के साथ हालिया चंद्रयान-3 भी शामिल है जो वैज्ञनिक समुदाय को मूल्यवान डेटा प्रदान करने के अलावा, विज्ञान शिक्षा को प्रोत्साहन और बढ़ावा देते हैं और बदले में विज्ञान को समृद्ध करते हैं।’’ एक और ‘‘बहुत दिलचस्प तथ्य’’ पर प्रकाश डालते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत की पहली महिला स्थायी प्रतिनिधि कंबोज ने कहा कि भारत के चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 पर काम करने वाले वैज्ञनिकों में महिलाओं की संख्या उल्लेखनीय है, जो ‘‘महिलाओं के नेतृत्व वाली वृद्धि और विकास के भारत के मॉडल के साथ बहुत मेल खाती हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह सफलता पूरी मानवता की है। यह सफलता पूरी मानवता को सर्मिपत है’’ और भारत की सफलता ‘ग्लोबल साउथ’ के अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। भारत के इतिहास में इस ऐतिहासिक उपलब्धि के बारे में संयुक्त राष्ट्र महासभा या उसके किसी अन्य निकाय में प्रस्ताव पेश करने की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘इस विचार के बारे में बताने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं इस पर आपसे फिर बात करूंगी।’’ कंबोज से ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) समूह के विस्तार, चंद्र मिशन की सफलता से भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने की संभावना बढ़ने के साथ-साथ कश्मीर पर भी सवाल पूछा गया।

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