हिन्द महासागर में चीन की वृहद उपस्थिति से निपटने में भारत की ‘तैयारी बहुत ताíकक’ : जयशंकर

न्यूयॉर्क: विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा कि हिन्द महासागर में पहले से कहीं अधिक चीन की उपस्थिति के मद्देनजर भारत की ‘‘तैयारी बहुत ताíकक’’ है। उन्होंने कहा कि सामरिक रूप से अहम क्षेत्र को लेकर उत्पन्न चिंताओं से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है अगर क्वाड (भारत,अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान) देश मिलकर काम करें।.

न्यूयॉर्क: विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने कहा कि हिन्द महासागर में पहले से कहीं अधिक चीन की उपस्थिति के मद्देनजर भारत की ‘‘तैयारी बहुत ताíकक’’ है। उन्होंने कहा कि सामरिक रूप से अहम क्षेत्र को लेकर उत्पन्न चिंताओं से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है अगर क्वाड (भारत,अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान) देश मिलकर काम करें। ‘कांउसिल ऑफ फॉरेन रिलेशन’ में मंगलवार को जयशंकर ने कहा, ‘‘ जब तक आप सीप को नहीं देखेंगे मोती हमेशा कमजोर ही लगेगा। उनका नजरिया थोड़ा अलग हो सकता है।’’ जयशंकर से हिन्द महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधि के बारे में सवाल किया गया था जिसे ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ कहा जाता है। साथ ही पूछा गया था कि क्वाड समूह शक्ति संतुलन भारत या अमेरिका के विपरीत न हो जाए यह सुनिश्चित करने के लिए क्वाड क्या कर सकता है।

जयशंकर ने कहा, ‘‘ अगर आप पिछले 20-25 साल के कालखंड को देखें तो हिन्द महासागर में चीन की नौसेना की तेजी से बढ़ती गतिविधि पाएंगे। चीनी नौसेना के आकार में तेजी से वृद्धि हुई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब आप के पास बहुत बड़ी सेना होगी तो वह नौसेना निश्चित तौर पर कहीं तैनाती के संदर्भ में दिखेगी।’’ विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के ग्वादर और श्रीलंका के हम्बनटोटा में चीन द्वारा बंदरगाह निर्माण का हवाला दिया। जयशंकर ने कहा, ‘‘ मैं कहूंगा कि पीछे अगर देखें तो तब की सरकारों ने, नीति निर्माताओं ने इसके महत्व और भविष्य में इनके संभावित उपयोग एवं महत्व को कमतर कर आंका।’’

उन्होंने कहा, ‘‘प्रत्येक कुछ खास है और संभव है कि हम उनमें से कई को बहुत ही सावधानी से देखेंगे कि कहीं वे कोई सुरक्षा खतरा न पैदा करे। इसलिए भारतीय नजरिये से मैं कहना चाहता हूं कि यह हमारे लिए बहुत ताíकक है..केवल कोशिश या तैयारी न करे बल्कि वास्तव में चीन की बृहद उपस्थिति जो पहले नहीं देखी गई थी को लेकर तैयारी करें।’’ जयशंकर ने रेखांकित किया कि जरूरी नहीं कि समुद्र को लेकर चिंता दो देशो की हो बल्कि देशों की है जिनसे देशों को निपटना है। उन्होंने कहा कि समुद्री लुटेरो, तस्करी और आतंकवाद के खतरे हैं और ‘‘अगर कोई प्राधिकार न हो, कोई निगरानी नहीं हो, नियम आधारित व्यवस्था को लागू करने वाला कोई नहीं हो तो यह समस्या है।

’’ मंत्री ने कहा कि अगर कोई अमेरिका की ऐतिहासिक रूप से हिन्द महासागर में उपस्थिति को देखेगा तो पाएगा कि आज उसकी उपस्थिति बहुत कम है। उन्होंने कहा, ‘‘ इससे अंतर पैदा हुआ है, इससे अंतर आ गया है और यह तब हुआ है जब खतरे वास्तव में बढ़ गए हैं क्योंकि समस्या खड़ी करने वाली ताकतें और लोग पहले के मुकाबले तकनीकी रूप से अधिक उन्नत हैं।’’

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