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अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस : भावी पीढ़ियों को सशक्त बनाना

कहा जाता है कि जब लड़कियां शिक्षित होती हैं तो देश ज्यादा मज़बूत और सशक्त होता है। दुनियाभर में हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन के मनाने की शुरुआत युनाइटेड नेशन ने सन् 2011 में की थी। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस यानी इंटरनेशनल डे ऑफ़ गर्ल चाइल्ड को मनाने.

कहा जाता है कि जब लड़कियां शिक्षित होती हैं तो देश ज्यादा मज़बूत और सशक्त होता है। दुनियाभर में हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन के मनाने की शुरुआत युनाइटेड नेशन ने सन् 2011 में की थी। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस यानी इंटरनेशनल डे ऑफ़ गर्ल चाइल्ड को मनाने के पीछे का उद्देश्य लड़कियों को विकास के अवसर देकर समाज में लड़कियों को सम्मान और अधिकार दिलाना है। आज अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के ख़ास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस दिन का इतिहास क्या है?

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बालिका दिवस मनाने की पहल एक ग़ैर-सरकारी संगठन (NGO) “प्लान इंटरनेशनल” नाम के प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। इस संगठन ने “क्योंकि मैं एक लड़की हूँ” नाम से कैंपेन शुरू किया था। इसके बाद इस अभियान को इंटरनेशनल लेवल पर ले जाने के लिए कनाडा सरकार से बातचीत की गई और उसके बाद कनाडा सरकार ने इसके प्रस्ताव को 55वीं आम सभा में रखा। 

इतिहास में पहली बार वर्ष 1995 में बीजिंग डिक्लेरेशन एंड प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन ने लड़कियों के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिये एक कार्ययोजना का प्रस्ताव रखा। इसे चीन की राजधानी बीजिंग में आयोजित महिलाओं पर चौथे वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस के दौरान अपनाया गया था। इस ऐतिहासिक दस्तावेज़ को महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए सबसे व्यापक वैश्विक ढाँचों में से एक माना जाता है। 

इसने लैंगिक समानता पाने और महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक लंबी कार्य योजना की रूपरेखा तैयार की, जो अंतर्राष्ट्रीय महिला अधिकार वकालत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था। फिर संयुक्त राष्ट्र द्वारा यह प्रस्ताव 19 दिसंबर 2011 को पारित किया गया और तब से पूरी दुनिया में 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाना शुरू हो गया।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के पीछे का मक़सद लड़कियों के जीवन में आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरुकता फैलाने और लड़कियों के अधिकारों से रूबरू कराना है। देश में लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली सभी प्रकार की आसमानताओं को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। बालिकाओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना उनकी स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण  के महत्व को समझना है।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के लिए कई देशों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें संयुक्त राष्ट्र, गैर-सरकारी संगठनों और लोकल ग्रुप्स द्वारा आयोजित संगीत कार्यक्रम, त्यौहार और जागरूकता अभियान शामिल हैं। #dayofthegirl जैसे हैशटैग का उपयोग करके संदेश फैलाने में सोशल मीडिया भी अहम भूमिका निभाता है।

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम

इस साल 11 अक्टूबर को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम है- “भविष्य के लिए लड़कियों का दृष्टिकोण”। यह थीम जलवायु परिवर्तन, संघर्ष और गरीबी जैसी ग्लोबल चैलेंजिंग के बीच लड़कियों की आवाज़ और आकांक्षाओं को उजागर करते हुए, कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता और बेहतर भविष्य के लिए लड़कियों की निरंतर आशा पर जोर देता है।

इस साल का फोकस लड़कियों के अधिकारों और सशक्तिकरण पर उनके दृष्टिकोण को बढ़ाना है, उनकी ज़रूरतों को सुनने और उनकी क्षमता में निवेश करने के महत्व पर ज़ोर देना है। यह थीम व्यापक सतत विकास लक्ष्यों के साथ जुड़ी है, विशेष रूप से वे जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता और असमानताओं को कम करने के लिए हैं। यह आयोजन दुनिया भर में लड़कियों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों को पहचानता है और उन पहलों को बढ़ावा देता है जो उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच और हिंसा से सुरक्षा के माध्यम से सशक्त बनाती हैं।

भारत में राष्ट्रीय बालिका दिवस

भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने लड़कियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके अधिकारों और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए 2008 में इस पहल की शुरुआत की थी। यह दिन लड़कियों के लिए लैंगिक असमानता, शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य देखभाल जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करता है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस का महत्व

राष्ट्रीय बालिका दिवस का पालन हमें हर बालिका के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने और समान अवसर प्रदान करने के महत्व की याद दिलाता है। यह एक ऐसा वातावरण बनाने के लिए सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है जहाँ लड़कियाँ आगे बढ़ सकें और अपने समुदायों में सार्थक योगदान दे सकें।

चीन में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस

वहीं, चीन में 1 जून को हर साल अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस सन् 1949 में पीआरसी सरकार द्वारा बच्चों के सम्मान के लिए स्थापित किया गया था। चीन में बाल दिवस पर, परिवार अक्सर पार्कों में जाते हैं और इस अवसर पर आयोजित सार्वजनिक खेलों और शो में भाग लेते हैं। इन कार्यक्रमों में प्रवेश निःशुल्क होता है। सरकार अनाथालयों और अन्य समूहों के बच्चों के लिए त्यौहार और मनोरंजन भी आयोजित करती है। 

हालाँकि अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस और चीन में बाल दिवस का फोकस अलग-अलग है, लेकिन दोनों का उद्देश्य अगली पीढ़ी का समर्थन और सशक्तिकरण करना है। इन समारोहों को मनाकर, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय यह सुनिश्चित करने के महत्व को पहचानता है कि लिंग की परवाह किए बिना हर बच्चे को न्यायपूर्ण और समान दुनिया में पनपने का अवसर मिले।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, बीजिंग)

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