जीत-जीत सहयोग की वैश्विक व्यवस्था स्थापित करना हमारा साझा कर्तव्य है 

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में आयोजित चीन-अमेरिका शिखर सम्मेलन पर विश्व का ध्यान आकर्षित है। दोनों के बीच विश्व शांति और विकास से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर गहन संवाद किये जा रहे हैं। दुनिया को उम्मीद है कि शिखर सम्मेलन में सकारात्मक परिणाम निकलेगा। हमारे युग की मांग है कि राजनेताओं को विश्व मामलों को.

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में आयोजित चीन-अमेरिका शिखर सम्मेलन पर विश्व का ध्यान आकर्षित है। दोनों के बीच विश्व शांति और विकास से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर गहन संवाद किये जा रहे हैं। दुनिया को उम्मीद है कि शिखर सम्मेलन में सकारात्मक परिणाम निकलेगा। हमारे युग की मांग है कि राजनेताओं को विश्व मामलों को निष्पक्ष और समावेशी रवैये के साथ संभालना चाहिये, ताकि अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक मामलों के लोकतंत्रीकरण को बढ़ाने और जीत-जीत सहयोग की विश्व व्यवस्था स्थापित करने में बढ़ावा मिले।

आज की दुनिया में विज्ञान और प्रौद्योगिकी तेजी से विकसित हो रहे हैं और मानव समाज अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमें खुले और समावेशी रवैये से एक ऐसी विश्व व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता है जो आर्थिक समृद्धि और सामान्य विकास को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल हो। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में चीन-अमेरिका संबंधों का निस्संदेह विशेष महत्व है। दोनों देशों के संयुक्त प्रयासों से, चीन-अमेरिका संबंध फिर से बढ़ रहे हैं, जिससे दुनिया को स्थिर सहयोग का सकारात्मक संकेत मिल रहा है। 2022 में, चीन-अमेरिका व्यापार की मात्रा 700 बिलियन अमेरिकी डॉलर के करीब रही, जिसमें से कृषि व्यापार की मात्रा 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक रही, और चीन को अमेरिकी कृषि निर्यात रिकॉर्ड 42 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई। जनवरी से जुलाई 2023 तक, चीन द्वारा अमेरिकी पूंजी का वास्तविक उपयोग साल-दर-साल 25.5% बढ़ गया। छठे चीन अंतर्राष्ट्रीय आयात एक्सपो में 200 से अधिक अमेरिकी कंपनियों ने भाग लिया जो एक नया रिकॉर्ड था। इससे पता चलता है कि दोनों देशों के बीच व्यापार सहयोग का मजबूत आधार है।

प्रमुख देशों के बीच स्वस्थ सहयोगात्मक संबंध सुनिश्चित करना विश्व शांति, स्थिरता और विकास की मूलभूत गारंटी है। किसी भी देश के बीच सहयोगात्मक संबंधों के विकास के लिए विचारधारा के मतभेद को छोड़ देना और एक-दूसरे के साथ समानता और सहिष्णुता का व्यवहार करना पूर्व शर्त है। पिछले कुछ दशकों में चीन शांतिपूर्ण विकास की नीति पर कायम रहा है और इस आधार पर सभी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंध विकसित करने को तैयार है। चीन की भी उम्मीद है कि दूसरे देश तथाकथित “क्वाड” या “हिन्द-प्रशांत रणनीति” के माध्यम से चीन के खिलाफ काम करने के बजाय तर्कसंगत और यथार्थवादी तरीके से चीन के साथ आर्थिक और तकनीकी सहयोग विकसित करें।

चाहे वह चीन-अमेरिका संबंध हो या चीन और अन्य देशों के बीच संबंध, यह शून्य-राशि का खेल नहीं होना चाहिए। किसी भी देश की आर्थिक उपलब्धियां अन्य देशों के लिए चुनौतियों के बजाय अवसर हैं। चीनी उद्यमों के खिलाफ संरक्षणवाद अपनाना बाजार के नियमों और वैश्विक विकास की प्रवृत्ति के खिलाफ है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष के पहले नौ महीनों में चीन में 37,814 नये विदेशी वित्त पोषित उद्यम स्थापित हुए, जो साल-दर-साल 32.4% की वृद्धि है। विदेशी निवेश पर चीनी बाजार का “चुंबकीय आकर्षण” प्रभाव अभी भी स्पष्ट है। विश्व इतना बड़ा है कि इसमें सभी देशों के साझा विकास और समृद्धि को समाहित किया जा सकता है। केवल जीत-जीत सहयोग ही सबसे यथार्थवादी विदेश नीति ही साबित है।

विश्व का भविष्य शांति और विकास से अविभाज्य है, जो सभी देशों के बीच संबंधों के विकास का सामान्य आधार भी है। चाहे अर्थव्यवस्था और व्यापार, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, मानविकी और कई अन्य क्षेत्र हों, विभिन्न देशों को अधिक सहयोग करना चाहिए। सहयोग से दोनों पक्षों को लाभ होगा, और टकराव से दोनों को नुकसान होगा। यह वह सिद्धांत है जिसका चीन ने हमेशा पालन किया है, और यह सबसे प्रभावी दार्शनिक विचार भी है जिसे तथ्यों द्वारा बार-बार सिद्ध किया गया है। नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में, लोकतंत्र और न्याय अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में स्थिरता और सद्भाव की आधारशिला हैं। विभिन्न देशों के बीच ईमानदारी से सहयोग करके ही हम एक सच्चे लोकतांत्रिक, न्यायपूर्ण और समृद्ध विश्व का निर्माण कर सकते हैं।

 (साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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