Joe Biden ने दो भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय पदकों से किया सम्मानित

वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस में एक समारोह में दो भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों – सुब्रा सुरेश और अशोक गाडगिल को विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचार के क्षेत्र में उनके अग्रणी योगदान के लिए राष्ट्रीय पदकों से सम्मानित किया है। बाइडेन ने मंगलवार को सदन के ईस्ट रूम में समारोह में टिप्पणी में कहा, ‘हम.

वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस में एक समारोह में दो भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिकों – सुब्रा सुरेश और अशोक गाडगिल को विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवाचार के क्षेत्र में उनके अग्रणी योगदान के लिए राष्ट्रीय पदकों से सम्मानित किया है। बाइडेन ने मंगलवार को सदन के ईस्ट रूम में समारोह में टिप्पणी में कहा, ‘हम अमेरिका को महान विज्ञान लौटाने के लिए दृढ़ हैं।‘ उन्होंने कहा कि ‘इस वर्ष पुरस्कार पाने वालों के लिए उत्कृष्ट शब्द छोटा पड़ सकता है। वे असाधारण हैं.. उन्होंने हमारे देश की पूरी क्षमता को उजागर करने के लिए अन्य वैज्ञानिकों और नवप्रवर्तकों की एक पीढ़ी के लिए अपनी खोजों को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त किया है।‘

उच्च शिक्षा, उद्योग और सरकार में दशकों के प्रभावशाली नेतृत्व के साथ एक वैज्ञानिक और इंजीनियर सुरेश उन नौ प्राप्तकर्ताओं में से थे जिन्हें राष्ट्रीय विज्ञान पदक से सम्मानित किया गया है। ब्राउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में बड़े प्रोफेसर और नेशनल साइंस फाउंडेशन के पूर्व निदेशक, मैसाचुसेट्स इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी के सुरेश को इंजीनियरिंग, भौतिकी विज्ञान और जीव विज्ञान में अग्रणी शोध के लिए सम्मानित किया गया। व्हाइट हाउस के एक बयान में सुरेश को ‘परिवर्तनकारी शिक्षक‘ बताते हुए कहा गया कि ‘सीमाओं के पार अनुसंधान और सहयोग के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने प्रदर्शित किया है कि विज्ञान कैसे लोगों और राष्ट्रों के बीच समझ और सहयोग पैदा कर सकता है‘।

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ब्राउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग द्वारा जारी एक बयान में सुरेश ने कहा, ‘यह बहुत संतोषजनक है।‘ उन्होंने कहा, कि ‘यही कारण नहीं है कि आप विज्ञान करते हैं। आप इसे पुरस्कार के लिए नहीं करते हैं, आप इसे आनंद के लिए करते हैं। अगर कोई इसे नोटिस करता है, तो यह सोने पर सुहागा है, लेकिन यह अपने-आप में केक ही नहीं है। हालाँकि, इस विशेष संदेश का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि यह अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से है। यह राष्ट्रीय है। इस पर अमेरिका की मुहर लगी है।’

सन् 1956 में भारत में जन्मे सुरेश ने 15 साल की उम्र में हाई स्कूल की परीक्षा पास की। अगले 10 साल में उन्होंने स्नातक डिग्री, मास्टर डिग्री और पीएचडी हासिल कर ली। उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में केवल दो वर्षों में पीएचडी अजर्ति की।दुनिया भर के समुदायों को जीवन-निर्वाह संसाधन प्रदान करने के लिए कैलिफोर्नयिा विश्वविद्यालय बर्कले और लॉरेंस बर्कले राष्ट्रीय प्रयोगशाला के अशोक गाडगिल को प्रौद्योगिकी एवं नवाचार का राष्ट्रीय पदक प्रदान किया गया। व्यापक रूप से ‘मानवतावादी आविष्कारक‘ माने जाने वाले गाडगिल यह सम्मान पाने वाले 12 पुरस्कार विजेताओं में से एक हैं।

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व्हाइट हाउस ने कहा, कि ‘उनकी नवीन, सस्ती प्रौद्योगिकियां पीने के पानी से लेकर ईंधन-कुशल कुकस्टोव तक की गहन जरूरतों को पूरा करने में मदद करती हैं। उनका काम सभी लोगों की गरिमा और हमारे समय की बड़ी चुनौतियों को हल करने की हमारी शक्ति में विश्वास से प्रेरित है।‘कांग्रेस द्वारा 1959 में स्थापित राष्ट्रीय विज्ञान पदक सीधे राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है। यह देश द्वारा वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रदान की जाने वाली सर्वोच्च मान्यता है। अमेरिका के आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक कल्याण में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी एवं नवाचार पदक दिया जाता है।

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