चीन-जर्मन सर्वसम्मति: पश्चिमी शोर के प्रति एक शक्तिशाली प्रतिक्रिया

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की चीन यात्रा न केवल एक भव्य राजनीतिक और कूटनीतिक घटना है, बल्कि पश्चिमी जनमत का केंद्र भी बन गई है। तीन दिनों में स्कोल्ज़ ने अपने तीन मंत्रियों के साथ चीन के तीन शहरों का दौरा किया। कई दिग्गज जर्मन कंपनियों के प्रमुखों ने भी सक्रिय भागीदारी की। सभी ने.

जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की चीन यात्रा न केवल एक भव्य राजनीतिक और कूटनीतिक घटना है, बल्कि पश्चिमी जनमत का केंद्र भी बन गई है। तीन दिनों में स्कोल्ज़ ने अपने तीन मंत्रियों के साथ चीन के तीन शहरों का दौरा किया। कई दिग्गज जर्मन कंपनियों के प्रमुखों ने भी सक्रिय भागीदारी की। सभी ने इस यात्रा के महत्व और दूरगामी प्रभाव को प्रदर्शित किया।

16 अप्रैल को, स्कोल्ज़ की चीन यात्रा का आखिरी दिन था। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने राजधानी पेइचिंग में उनसे मुलाकात की। दोनों नेताओं ने चीन-जर्मनी संबंधों की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया। चीन ने स्पष्ट रूप से बताया कि चीन और जर्मनी के बीच हितों का कोई बुनियादी टकराव नहीं है, लेकिन सहयोग की बहुत बड़ी सम्भावना है। जर्मनी ने भी दोनों देशों के बीच संबंधों को गहरा करने की दृढ़ इच्छा व्यक्त की और मुक्त व्यापार और आर्थिक वैश्वीकरण के लिए अपने समर्थन पर जोर दिया।

आदान-प्रदान और आम सहमति की यह श्रृंखला निस्संदेह पश्चिमी दुनिया में वर्तमान में मौजूद कुछ शोर और गलतफहमियों के लिए एक शक्तिशाली प्रतिक्रिया है। दुनिया की महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाएं होने की वजह से चीन और जर्मनी के संबंधों का स्थिर विकास न केवल दोनों देशों के लिए फायदेमंद है, बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।

इस वर्ष चीन और जर्मनी के बीच सर्वांगीण रणनीतिक साझेदारी की स्थापना की 10वीं वर्षगांठ है। इस संबंध की स्थापना और विकास ने न केवल दोनों देशों के बीच राजनीति, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और अन्य क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा दिया है, बल्कि चीन-यूरोप संबंधों के स्थिर विकास के लिए एक महत्वपूर्ण आधार भी प्रदान किया। हालांकि, हाल के वर्षों में, वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव और अमेरिका की चीन नियंत्रण नीति के प्रभाव के कारण चीन-जर्मनी संबंधों को कुछ चुनौतियों और परीक्षणों का सामना करना पड़ा है। इस यात्रा के दौरान, चांसलर स्कोल्ज़ ने व्यावहारिक कार्यों के साथ जर्मन सरकार की चीन नीति की तर्कसंगतता और व्यावहारिकता का प्रदर्शन किया। उन्होंने चीन-जर्मन आर्थिक और व्यापार संबंधों को गहरा करने के लिए जर्मनी के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया। साथ ही, जर्मन व्यापार जगत ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह चीनी बाजार में प्रवेश करना जारी रखेगा और चीन के साथ घनिष्ठ सहयोग विकसित करेगा।

चीन-जर्मन सहयोग का बहुत महत्व है। दुनिया की दूसरी और तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, दोनों देशों की औद्योगिक और आपूर्ति श्रृंखलाएं आपस में गहराई से जुड़ी हुई हैं और उनके बाजार अत्यधिक अन्योन्याश्रित हैं। हालांकि पश्चिम में कुछ लोग “अलग होने” और “व्यापारी संबंध तोड़ने” की वकालत करते हैं, लेकिन चीन और जर्मनी के बीच आर्थिक और व्यापार सहयोग अभी भी बहुत लचीला है, जो द्विपक्षीय सहयोग की मजबूत जीवन शक्ति और व्यापक संभावनाओं को प्रदर्शित करता है।

चीन और जर्मनी के बीच सहमति बनने से न केवल दोनों देशों के बीच संबंधों की स्थिरता और दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, बल्कि वैश्विक शांति और विकास में नई गति भी आएगी। वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के तहत, चीन और जर्मनी को वैश्विक चुनौतियों का संयुक्त रूप से जवाब देने और विश्व शांति और समृद्धि में अधिक योगदान देने के लिए सहयोग को मजबूत करना चाहिए।

चीन-जर्मन सहमति पश्चिमी शोर के प्रति एक शक्तिशाली प्रतिक्रिया है, और दुनिया में अधिक स्थिरता और निश्चितता लाने के लिए मिलकर काम करने के चीन और जर्मनी के दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास को भी प्रदर्शित करती है। विश्वास है कि दोनों पक्षों के संयुक्त प्रयासों से, चीन-जर्मनी संबंध नई ऊंचाई तक पहुंचेंगे और विश्व शांति और विकास में अधिक योगदान दे सकेंगे।

(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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