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सोडियम बैटरी:पर्यावरण के प्रति चीन की अहम भूमिका

विकास की गति को बनाये रखने के लिए विश्व भर के देश लगातार दौड रहें है। बहुत से देश तो इस दौड में अन्धों की तरह बस भागे चले जा रहें है, बग़ैर इस बात की परवाह किए कि इनकी इस अन्धी दौड का नतीजा क्या होगा? आख़िर ऐसा विकास और आधुनिकता भला किस काम.

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विकास की गति को बनाये रखने के लिए विश्व भर के देश लगातार दौड रहें है। बहुत से देश तो इस दौड में अन्धों की तरह बस भागे चले जा रहें है, बग़ैर इस बात की परवाह किए कि इनकी इस अन्धी दौड का नतीजा क्या होगा? आख़िर ऐसा विकास और आधुनिकता भला किस काम की जिसका कोई स्वच्छ एवं स्वस्थ्य भविष्य ही ना हो? वर्तमान में विकास और उन्नति के साथ-साथ हमें पर्यावरण और मानव जाति के ना केवल कल्याण बल्कि भविष्य में हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को क्या विरासत सौप कर जाएँगे इसका भी एक साँचा तैयार कर लेना चाहिये तभी असल मायने में हम अपने विकास के लक्ष्य को हासिल कर पायेंगे।

चीन में इसी सिद्धांत को मानते हुए भविष्य में किस तरह से उन्नति की जाये इसका ख़ास ख़याल रखा जाता है। चीन दुनिया में सबसे बड़ा सोलर पैनल निर्माता है जो सौर ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। चीन ने ये बहुत पहले ही जान लिया था की धरती के गर्भ में जितने भी संसाधन है उनकी संख्या सीमित है, और अगर इसी पैमाने पर इनका दोहन होता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब मनुष्य को इनसे वंचित होना पड़ेगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए चीन ने अक्षय ऊर्जा के विकल्प खोजने और उनके विकास के लिए लगातार कदम उठाये इसी के परिणाम स्वरूप चीन में विश्व के सबसे ज्यादा बैटरी चलित वाहन और चार्जिंग पॉइंट है।

हाल ही में भारत में मिले लिथियम के विशाल भंडार की दुनिया भर में खूब चर्चा हुई, हो भी क्यों ना क्योंकि लिथियम को “सफ़ेद सोना”भी कहा जाता है। लेकिन क्या आपको मालूम है चीन को भी “भविष्य का पैट्रोल”मिल गया है। जी हां, सही सुना आपने “भविष्य का पैट्रोल”चलिए हम आपको बताते है कि ये है क्या?

दरअसल, 1970 के दशक से ही अमेरिका और जापान के वैज्ञानिक सोडियम बैटरी बनाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन उन्हें कोई ख़ास सफलता हासिल नहीं हुईं, मगर ताज़ा ख़बरों के अनुसार चीन के वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। चीन ने ये पता कर लिया है कि सोडियम से बैटरी किस तरह से बनाई जाए और ये अक्षय ऊर्जा की खोज में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है जिससे निकट भविष्य में लिथियम बैटरी पर दुनिया की निर्भरता को कम करने में मदद मिलेगी।

चीन के छांगशा शहर में सोडियम बैटरी के लिए दुनिया की सबसे पहली और विशाल फैक्ट्री बनाई जा रही है। इसका निर्माण चीन के कंपनी सीएटील कर रही है। माना जा रहा है अगले दो सालों में चीन सोडियम बैटरी का 95% बाज़ार पर अकेले चीन का क़ब्ज़ा होगा।

सोडियम से बनी बैटरी लिथियम की तुलना में ज्यादा फ़ायदेमंद है। लिथियम को सोडियम से बदलना, एक सस्ता और अधिक बेहतर विकल्प है प्रचुर मात्रा में सामग्री का होना भी इसकी विशेषता है। नमक के हिस्से के रूप में दुनिया भर में पाया जाने वाला सोडियम, लिथियम की कीमत से 1 से 3 प्रतिशत की कीमत पर बिकता है और रासायनिक रूप से बहुत समान है। हाल की सफलताओं का मतलब है कि सोडियम बैटरियों को अब सालों तक रोजाना रिचार्ज किया जा सकता है, जिससे लिथियम बैटरियों का एक प्रमुख लाभ कम हो जाता है। सोडियम बैटरियों की ऊर्जा क्षमता में भी वृद्धि हुई है।

सोडियम बैटरी का एक सबसे बड़ा फ़ायदा ये हैं कि जब तापमान ठंड में बहुत नीचे गिर जाता है, तो वे अपना लगभग पूरा चार्ज रखती हैं, कुछ लिथियम बैटरी आमतौर पर ऐसा नहीं करती हैं। चीनी बैटरी विशेषज्ञों का कहना है कि उन्होंने पिछले साल यह पता लगाया था कि सोडियम बैटरी कोशिकाओं को लिथियम के समान कैसे बनाया जाए ताकि उन्हें उसी उपकरण से बनाया जा सके। इलेक्ट्रिक कार बैटरी की दुनिया की सबसे बड़ी निर्माता, चीनी दिग्गज CATL, का कहना है कि उसने एक इलेक्ट्रिक कार के बैटरी पैक में सोडियम सेल और लिथियम सेल का उपयोग करने का एक तरीका खोज लिया है, जो सोडियम सेल की कम लागत और मौसम प्रतिरोध को विस्तारित रेंज के साथ जोड़ती है। लिथियम सेल। कंपनी का कहना है कि अब वह इन मिश्रित बैटरी पैक का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने के लिए तैयार है।

सोडियम बैटरी की बस एक समस्या हैं अगर उन्हें लिथियम जितनी ही शक्ति चाहिए तो उसके लिए उन्हें अपना आकर बढ़ाना होगा यह उन कारों के लिए एक समस्या है, जिनके पास सीमित स्थान है, लेकिन बिजली ग्रिड भंडारण के लिए नहीं। उपयोगिताएँ जो लिथियम से सोडियम में स्विच करती हैं, सौर पैनलों या पवन टर्बाइनों के पास एक खाली जगह में दो बार बड़ी बैटरी लगाई जा सकती हैं जिससे इस समस्या का निवारण हो सकता है।

यें कहना ग़लत ना होगा कि इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए चीनी विज्ञानिकों ने जी तोड़ मेहनत की है और इस खोज और उपलब्धि को विश्व तक पहुँचाया जो निकट भविष्य में मानव जाति के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदान है जिसका लाभ विश्व भर के लोग उठा सकेंगे।

(रिपोर्टर—देवेंद्र सिंह)

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