बैंकॉकः म्यांमार की सैन्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों और पूर्व सैन्य कर्मियों सहित अपने समर्थकों को लाइसेंस वाली बंदूक रखने की अनुमति देने की योजना बनायी है लेकिन उन्हें सुरक्षा एवं कानून प्रवर्तन गतिविधियों में भाग लेने के लिए स्थानीय प्रशासन के आदेशों का पालन करना होगा। सैन्य और मीडिया की खबरों से इस बात की जानकारी मिली। इस घोषणा से म्यांमार में और भी अधिक हिंसा होने की आशंका बढ़ गयी। देश जिस स्थिति से गुजरा है, उसे संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेषज्ञ गृहयुद्ध करार दे चुके हैं।
सेना ने दो साल पहले निर्वाचित आंग सान सू की की सरकार से सत्ता हथिया ली थी, जिसके बाद देश में व्यापक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। लेकिन सुरक्षा बलों द्वारा विरोध को दबाने के लिए घातक बल का का इस्तेमाल करने के बाद यह प्रदर्शन सशस्त प्रतिरोध में बदल गया था। नई बंदूक नीति पर 15 पन्नों वाला एक दस्तावेज सबसे पहले सैन्य समर्थक फेसबुक एकाउंट एवं टेलीग्राम चैनलों पर सामने आया । यह दस्तावेज बाद में सैन्य समर्थक सैन्य एवं स्वतंत्र समाचार संगठनों ने भी प्रकाशित किया । खबरों में कहा गया है कि दिसंबर में मंत्रिमंडल की एक बैठक में मंजूरी मिलने के बाद 31 जनवरी को उसे जारी किया गया था।
दस्तावेज में कहा गया है कि बंदूक रखने अनुमति प्राप्त करने वालों को राष्ट्र के प्रति वफादार होना चाहिए, अच्छे नैतिक चरित्र का होना चाहिए और देश की सुरक्षा में गड़बड़ी में शामिल नहीं होना चाहिए। सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने सेवा को इस नीति की पुष्टि करते हुए बताया कि इसे (योजना) जारी करने की आवश्यकता है, क्योंकि कुछ लोग सैन्य-विरोधी समूहों द्वारा हमलों से बचाने के लिए हथियार रखने की मांग कर रहे थे।