rocket
domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /var/www/dainiksaveratimescom/wp-includes/functions.php on line 6114भारत में नरेंद्र मोदी सरकार के फिर से गठन के बाद चीन के भारत स्थित राजदूत श्यू फेईहोंग की भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात को राजनीतिक हलकों में बेहद अहम माना जा रहा है। श्यू फेईहोंग की नियुक्ति लंबे अंतराल के बाद मई में हुई थी। नई दिल्ली में उनके कार्यभार संभालने के बावजूद भारतीय विदेश मंत्री से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी। वैसे जिस समय फेईहोंग की नियुक्ति हुई, उन दिनों भारत में अठारहवीं लोकसभा की चुनाव प्रक्रिया जारी थी। भारत की चुनावी प्रक्रिया इतनी लंबी और राजनीतिक दलों की इतनी गहन भागीदारी होती है कि उसमें तकरीबन समूचा राजनीतिक नेतृत्व शामिल रहता है। शायद एक यह भी वजह रही कि नई दिल्ली में होने के बावजूद चीन के राजदूत से भारतीय विदेश मंत्री की मुलाकात नहीं हो पाई।
इस बैठक के बाद एस जयशंकर ने ट्वीट किया। जिसमें उन्हें लिखा कि चीनी राजदूत के साथ “द्विपक्षीय संबंध और इसके स्थिरीकरण और प्रगति में हमारे सामान्य हित” पर चर्चा की। दूसरी ओर बैठक के बाद चीनी राजदूत फेईहोंग ने ट्वीट किया, “चीन-भारत संबंधों और सामान्य हित के अन्य मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।”उन्होंने यह भी लिखा”चीन-भारत संबंधों के विकास को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए भारतीय पक्ष के साथ काम करने के लिए तत्पर हैं।”
भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है, फेईहोंग से मुलाकात भारत स्थित कुवैत, श्रीलंका और न्यूजीलैंड के राजदूतों से मुलाकात की अगली कड़ी रही। कूटनीतिक दुनिया में कई बार संकेतों में बातें की जाती हैं। फेईहोंग की जयशंकर से मुलाकात और उसका आधार के लिए कुवैत, श्रीलंका और न्यूजीलैंड के राजदूतों की मुलाकात का बहाना बनाना इसी कूटनीति का तकाजा माना ज सकता है। भारत और चीन भले पड़ोसी हों, लेकिन दोनों के आपसी संबंध अभी पटरी पर नहीं आ पाए हैं। सीमाओं पर रह-रहकर तनाव होता रहता है। हालांकि दोनों के कारोबारी रिश्ते परोक्ष रूप से बने हुए हैं। शायद यही वजह है कि सीमाओं के कई विवादों का आपसी तौर पर रास्ता तलाश लिया गया है। कई टकराव बिंदुओं का ‘समाधान’ कर लिए जाने से चीजें बदलती नजर आ रही हैं। इसी बीच भारत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की शुरुआत हुई है। इस मौके पर दुनिया भर के नेताओं ने मोदी को शुभकामना संदेश भेजा है। चीन से भी प्रधानमंत्री ली छ्यांग ने मोदी के उद्घाटन के बाद शुभकामनाएं भेजीं।
अमेरिकी पत्रिका न्यूज वीक को भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने अपने चुनाव अभियान के दौरान अप्रैल में एक इंटरव्यू दिया था। इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि भारत और चीन के रिश्तों की बेहतरी सिर्फ दोनों देशों के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए जरूरी है। तब मोदी ने यह भी कहा था कि सीमा पर जारी विवादों के समाधान के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बात चल रही है। मोदी के इस बयान का चीन के विदेश मंत्रालय ने पुरजोर स्वागत भी किया था। माना जा रहा है कि मोदी का बयान आपसी रिश्ते बढ़ाने का आधार बन सकता है। इसकी वजह से दोनों देशों के बीच एक स्थिर कारोबारी और शांति समर्थक रिश्ते बन सकते हैं। कम से कम मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल से ऐसी उम्मीद तो की ही जा सकती है।
(लेखक—उमेश चतुर्वेदी)