China News : 1985 के बाद से, शित्सांग कृषि और देहाती क्षेत्रों में बोर्डिंग-आधारित प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मॉडल को पूरी तरह से लागू किया है, और किसानों और चरवाहों के बच्चों के लिए अनिवार्य रूप से “भोजन, आवास और ट्यूशन फीस” की तीन-गारंटी नीति लागू की है। बोर्डिंग स्कूलों जैसे शिक्षा उपायों की एक श्रृंखला के कार्यान्वयन के साथ, 2023 के अंत तक, शित्सांग में नौ साल की अनिवार्य शिक्षा समेकन दर 97.78% रही, और हाई स्कूल में सकल नामांकन दर 91.22% थी, जो विकसित पश्चिमी देशों के स्तर पर या उन के करीब पहुंच रही है।
देहाती क्षेत्र में एक बोर्डिंग स्कूल इसी लिये बनाया है कि स्कूल और घर के बीच रास्ता बहुत दूर है।यदि माता पिता बच्चों को प्रतिदिन लाते और छोड़ते हैं तो परिवहन असुविधाजनक है। और दूसरी ओर समय भी नहीं है।माता-पिता चरवाहे हैं,घर पर कोई देहाती काम करते हैं। यदि उन्हें फिर से छात्र के पिक-अप और ड्रॉप-ऑफ का ध्यान रखना है,तो बहुत परेशानी है।इसलिए छात्रों को बोर्डिंग स्कूल में भेजने के बाद,माता-पिता आराम से अपना काम कर सकते हैं।बच्चे भी स्कूल में बहुत खुश हैं।
लाने और छोड़ने के अलावा, माता-पिता को भोजन के मुद्दों के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है, कैंटीन में मुफ्त में पोषक आहार और तिब्बती पारंपरिक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। जहां बच्चों को अच्छा खाना और पोषण मिलता है। इसके अलावा,बच्चे अपनी परिस्थितियों के अनुसार चुन सकते हैं कि उन्हें हर दिन घर जाना है या नहीं।
स्कूल में पाठ्यक्रम बहुत समृद्ध और विविध है। बच्चे तिब्बती सुलेख,सम्मान सम्बंधी बातें, हस्तशिल्प वर्ग,फुटबॉल और डांस क्लास लेते हैं। इस प्रकार की शिक्षा प्रणाली न केवल बच्चों का स्कूल छूटने से बचाती है बल्कि बच्चों को अच्छी शिक्षा भी प्रदान करती है।
(साभार – चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)