श्रीनगर: नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को कहा कि कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की पत्नी को पाकिस्तान के नवनियुक्त कार्यवाहक प्रधानमंत्री की विशेष सलाहकार नियुक्त किया जाना पड़ोसी देश का आंतरिक मामला है। यासीन मलिक की पत्नी मुशाल हुसैन मलिक को देश के नवनियुक्त कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकड़ की विशेष सलाहकार नियुक्त किया है।
उमर अब्दुल्ला ने यहां अपने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, “क्या हम पाकिस्तान के साथ विचार-विमर्श करने के बाद मंत्रियों की नियुक्ति करते हैं? हम उनसे क्यों उम्मीद करनी चाहिए कि वे अपने मंत्रियों की नियुक्ति से पहले हमारे साथ विचार.विमर्श करेंगे। यह उनका आंतरिक मामला है और इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है।” जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर ने लद्दाख में चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने संबंधी राहुल गांधी के बयान पर विपक्षी कांग्रेस एवं सरकार के बीच वाकयुद्ध में शामिल होने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘इसका जवाब राहुल गांधी देंगे। मेरा इससे कोइ मतलब नहीं है, यह सवाल उनसे ही पूछें। जाहिरा तौर पर, वहां (लद्दाख में) उनके सहयोगियों ने उन्हें इस बारे में बताया होगा। प्रधानमंत्री या राहुल गांधी ने जो कहा, मैं उसके बारे में क्या कह सकता हूं?” मैं वहां लद्दाख में नहीं हूं।” लद्दाख पर्वतीय विकास परिषद चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के चुनाव चिह्न के मुद्दे पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस मामले के उच्चतम न्यायालय में जाने के बाद भी उनकी पार्टी को जीत मिलेगी।
उमर ने कहा, ‘‘हमें इस सरकार के खिलाफ लड़ने की आदत हो गई है। भाजपा के दबाव में लद्दाख प्रशासन बार-बार अदालत का दरवाजा खटखटाने को मजबूर है। हमें अपना चुनाव चिन्ह चाहते हैं जिस पर हम चुनाव लड़ना चाहते हैं। लद्दाख प्रशासन को इस पर आपत्ति क्यों आपत्ति है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘… हम उच्च न्यायालय गए। एकल न्यायाधीश पीठ ने हमारे पक्ष में फैसला किया। उन्होंने खंडपीठ के समक्ष 300 पृष्ठों की अपील दायर की, हमें वहां भी कामयाबी मिली। अब हम सुन रहे कि वे उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर रहे हैं।”
उमर ने कहा, “क्या पर्वतीय परिषद चुनाव में उनकी पार्टी का चुनाव चिह्न इतना बड़ा मुद्दा है कि उसे (प्रशासन को) उच्चतम न्यायालय जाना पड़ा? हमारे वकील तैयार हैं और हमें वहां भी जीत मिलने की उम्मीद है।” जम्मू-कश्मीर में आगामी शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि वह चुनावों की घोषणा के बाद ही इसके बारे में टिप्पणी करेंगे।
उन्होंने कहा कि आज “प्रमुख सवाल” यह है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने से क्यों भयभीत है जबकि अन्य सभी चुनाव कराए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, “प्रमुख सवाल यह है कि अगर शहरी निकाय, पंचायत और संसद के चुनाव हो सकते हैं, तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं हो सकते? भाजपा विधानसभा चुनावों से क्यों भाग रही है? वे क्यों डरे हुए हैं? उन्हें आम लोगों का सामना करना चाहिए।”