पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए जम्मू-कश्मीर के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रही है भाजपा: महबूबा मुफ्ती

श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर अपने ‘करीबी पूंजीपतियों’ को फायदा पहुंचाने के लिए जम्मू-कश्मीर के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने का आरोप लगाया है। महबूबा मुफ्ती मीडिया में आई उन खबरों को लेकर प्रतिक्रिया दे रही थीं जिनमें दावा किया गया है कि जम्मू क्षेत्र.

श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर अपने ‘करीबी पूंजीपतियों’ को फायदा पहुंचाने के लिए जम्मू-कश्मीर के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने का आरोप लगाया है। महबूबा मुफ्ती मीडिया में आई उन खबरों को लेकर प्रतिक्रिया दे रही थीं जिनमें दावा किया गया है कि जम्मू क्षेत्र में पाए गए लिथियम के भंडार की जल्द ही नीलामी की जाएगी।

पीडीपी अध्यक्ष ने मंगलवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘‘जम्मू-कश्मीर के जल संसाधनों और खनिजों को अपने कब्जे में लेने के बाद, भारत सरकार ने जम्मू के लिथियम भंडार पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं। राज्य द्वारा उत्पादित बिजली दूसरों को (मुफ्त में भी) आपूर्ति की जाती है जबकि हम खुद अंधेरे में रहते हैं। अब इन लिथियम भंडारों का दोहन किया जाएगा और इसे भाजपा के करीबी पूंजीपतियों को उपहार में दिया जाएगा। इससे जम्मू-कश्मीर को क्या मिलगा इसकी जवाबदेही तय की जानी चाहिए।’’

बाद में, दिन में जारी एक बयान में मुफ्ती ने कहा कि भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के जल संसाधनों और खनिजों के अधिग्रहण के बाद अब उनका ध्यान जमीन में दबे विशाल लिथियम भंडार की तरफ है। उन्होंने कहा, ‘‘लिथियम, आधुनिक बैटरियों में इस्तेमाल किए जाने वाला एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा समाधानों की दिशा में परिवर्तन को लेकर वैश्विक महत्व रखता है। जैसे-जैसे दुनिया तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण और पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अपना रही है, लिथियम की मांग बढ़ रही है।

जम्मू-कश्मीर में लिथियम का पर्याप्त भंडार है, जो इस बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।’’ मुफ्ती ने आशंका व्यक्त की है कि जम्मू में लिथियम भंडार का दोहन किया जाएगा और केंद्री की सत्तारूढ़ भाजपा से जुड़े पूंजीपतियों को इसकी पेशकश की जाएगी, जिससे संभावित रूप से जम्मू-कश्मीर के लोगों को इन संसाधनों से उत्पन्न धन में उचित हिस्सेदारी से वंचित किया जा सकेगा।

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