अपनी संतानों को अनुशासन में रखने के लिए उनके साथ सख्ती बरतने वाले माता-पिता के बच्चों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से ग्रसित होने का खतरा अन्य बच्चों के मुकाबले डेढ़ गुणा अधिक होता है। अनुसंधानकर्ताओं ने 3, 5 और 9 साल की उम्र के बच्चों में घबराहट, समाज से दूर रहने, गुस्सा और अत्यधिक सक्रिय रहने जैसे मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े लक्षणों का अध्ययन किया।
उन्होंने पाया कि 7,500 से अधिक बच्चों में से 10 प्रतिशत बच्चों में खराब मानसिक स्वास्थ्य का अत्यधिक जोखिम है और अधिक सख्ती बरतने वाले माता-पिता के बच्चों के इस श्रेणी में आने की अधिक संभावना है। ब्रिटेन स्थित कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और आयरलैंड स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया और इसे ‘एपिडेमियोलॉजी एंड साइकियाट्रिक साइंसेज’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
इस अनुसंधान के लेखक एवं कैम्बिज यूनिवर्सिटी में कार्यरत आयोनिस कैटसेंटोनिस ने कहा, ‘10 में से एक बच्चा मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या के अत्यधिक खतरे की श्रेणी में आती है। यह बात है और हमें यह पता होना चाहिए कि बच्चों का पालन-पोषण करने का तरीका इसमें क्या भूमिका निभाता है।’
जिन बच्चों को अध्ययन में शामिल किया गया, उनमें से 83.5 प्रतिशत बच्चे 9 साल की उम्र तक मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कम जोखिम की श्रेणी में रहे, जबकि 6.43 बच्चे मध्यम खतरे की श्रेणी और 10.07 बच्चे अत्यधिक खतरे की श्रेणी में रहे। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि सख्ती से पालन-पोषण करने पर बच्चे के अत्यधिक खतरे की श्रेणी में आने की आशंका डेढ़ गुणा अधिक और मध्यम खतरे की श्रेणी में आने की आशंका 1.6 गुणा अधिक होती है।
बच्चों से सख्ती बरतने से यह है तात्पर्य
सख्ती बरतने का तात्पर्य शारीरिक या मनोवैज्ञानिक दोनों तरह के तरीकों से है। इसमें बच्चों पर बार-बार चिल्लाना, उन्हें अक्सर शारीरिक रूप से दंडित करना, गलत व्यवहार करने पर उन्हें अलग-थलग करना, उनके आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाना या माता-पिता का अपने मिजाज के हिसाब से बच्चों को सजा देना शामिल है।