Healthy Lifestyle जीने वाली मांओं की बेटियों में डिप्रेशन का खतरा हाेता हैं कम

नई दिल्ली : भागदौड़ भरी जिंदगी में हैल्दी रहना बेहद जरूरी है, क्योंकि इसका असर आपके बच्चों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। जिन माताओं की हैल्दी लाइफ स्टाइल होती है, उनकी बेटियों में डिप्रेशन के लक्षण कम होते हैं। हालांकि लड़कों पर इस तरह का कोई असर नहीं पड़ता है। दरअसल, पिछले कुछ सालों.

नई दिल्ली : भागदौड़ भरी जिंदगी में हैल्दी रहना बेहद जरूरी है, क्योंकि इसका असर आपके बच्चों के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। जिन माताओं की हैल्दी लाइफ स्टाइल होती है, उनकी बेटियों में डिप्रेशन के लक्षण कम होते हैं। हालांकि लड़कों पर इस तरह का कोई असर नहीं पड़ता है। दरअसल, पिछले कुछ सालों में किशोरों में डिप्रैशन तेजी से बढ़ रहा है। अमरीका में 2005 में 8.7% किशोर डिप्रेशन के शिकार थे। यह आंकड़ा 2014 में बढ़कर 11.3% हो गया। वहीं 50% किशोरों ने डिप्रैशन के अलावा इससे जुड़े अन्य मानसिक विकारों से जूझने की बात स्वीकारी।

युवाओं में विकलांगता का प्रमुख कारण भी डिप्रैशन बन रहा है। प्रमुख शोधकत्ता वी-चेन वांग ने शोध में बताया कि स्वस्थ आहार, धूम्रपान न करना, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना, सामान्य बॉडी मास इंडैक्स (बीएमआई) और शराब के सेवन से बचने से डिप्रैशन में कमी हो जाती है। यह जानने के लिए 10,368 अलग-अलग पेशे की 25 से 45 वर्ष की महिलाओं का डाटा एकत्र किया गया था।

पिता के डिप्रैशन का बच्चे के विकास पर असर

1989 से कलैक्ट किए गए इस डाटा के विश्लेषण में सामने आया कि माताओं की जीवन शैली और व्यवहार उनकी संतानों की जीवन शैली से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। हालांकि माता के मोटा होने पर बेटियों में डिप्रैशन की आशंका भी कम ही होती है। पिता के डिप्रैशन का बड़े होते बच्चों पर गहरा असर पड़ता है। फिर चाहे वह बच्चा अनुवांशिक रूप से पिता से जुड़ा हो या फिर गोद लिया गया ह

बच्चे पेरैंट्स के व्यवहार की करते हैं नकल

बच्चे अनजाने में पेरैंट्स के व्यवहार की नकल करते हैं। कई बार इसे आत्मसात भी कर लेते है। कई बार उसे अपने अनुसार बदलकर उसके अनुसार व्यवहार भी करने लगते हैं। इसका किशोरावस्था और वयस्क होने पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है।

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