हमेशा फिट और तंदरुस्त रहने के लिए हम डाइटिंग करते हैं। डाइटिंग का चलन आजकल के युवाओं में अधिक होती है। आज कल के बिगड़ते लाइफ्स्टीले में मोटापे जैसी परेशानी बढ़ती जा रही है। जिसके बाद हर कोई डाइटिंग कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं के ज्यादा डाइटिंग करना सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। इससे आस्टियोपोरोसिस, बांझपन, चेहरे का बदसूरत दिखना, शरीर में ऊर्जा की कमी होना जैसे दोष पैदा हो रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि डाइटिंग के कारण शरीर को उचित मात्रा में विटामिन और प्रोटीन नहीं मिल पाते हैं।
डाइटिंग का चलन कामकाजी महिलाओं में कुछ ज्यादा ही बढ़ रहा है। कॉलेज में पढ़ने वाली युवतियों में भी डाइटिंग की आदत बड़ी तेजी से बढ़ रही है। अब तो स्कूली छात्राएं भी डाइटिंग करने लगी हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार स्कूली बच्चों के टिफिन में पौष्टिक आहार दिनों दिनों घट रहा है। नर्सरी के बच्चों के टिफिन में बिस्किट, ब्रैड या नमकीन ही ज्यादा होते हैं। लड़कियां दाल-रोटी की जगह अचार-परांठा या फिर पोहा खाना ज्यादा पसंद करती हैं। चॉकलेट का चलन भी अधिक हो गया है। दूध, दही, सलाद और फलों से तो मानों युवतियों को एलर्जी हो। उन्हें तो चाट, पाव-भाजी, छोले-भटूरे, मोमोज, पिज्जा, बर्गर, समोसा, भेल या फिर गोलगप्पे पसंद हैं।
डाइटिंग का फायदा: भूखे रहना बुद्धिमानी नहीं है। खान- पान में लापरवाहियों का ही दुष्परिणाम है पेट से संबंधित रोगों का बढ़ना। डाइटिंग से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में भी कमी आ जाती है। यही कारण है कि डाइटिंग करने वालों को खांसीजुकाम जैसी बीमारियां भी जल्दी होती हैं। कहने का तात्पर्य सिर्फ यह है कि डाइटिंग बीमारी का कारण बन सकती है। छरहरा रहना है तो श्रम करो। हर रोज सुबह की सैर भी करो।