लुधियाना। लुधियाना की 33 वर्षीय महिला व मोगा के 32 वर्षीय युवक की जिंदगी अब डायलिसिस की मोहताज नहीं रहेगी। मोहाली के एक अस्पताल में ब्रेन डैड घोषित लेह की 56 वर्षीय महिला व चंडीगढ़ के 65 वर्षीय व्यक्ति की किडनियां इन दोनों किडनी रोगियों को ट्रांसप्लांट कर दी गई हैं। शुक्रवार को अकाई अस्पताल के प्रबंधकों ने प्रैस कांफ्रैंस में दावा किया कि पंजाब में पहली ब्रेन डैड मरीज की किडनी को ट्रांसप्लांट किया गया है। असल में जिस भी मरीज को लाइव डोनर से किडनी नहीं मिल पाती है तो उसकी उम्मीद ब्रेन डैड मरीज से किडनी मिलने पर टिक जाती है। वह रजिस्ट्री में अपना नाम दर्ज करवा देते हैं। कुछ दिन पहले जब मोहाली के अस्पताल में दो मरीज ब्रेन डैड हुए तो उनके परिवार ने उनके अंग डोनेट करने का फैसला किया गया। इसके बाद लुधियाना के अकाई अस्पताल में दोनों मरीजों की किडनियां दूसरे मरीजों को ट्रांसप्लांट करने का फैसला हुआ।
नई जिंदगी पाने वाले मरीजों के परिजन बोले- हम भी करेंगे अंगदान
ट्रांसप्लांट से नई जिंदगी पाने वाली लुधियाना निवासी महिला के पति व मोगा निवासी युवक के भाई ने कहा कि वह डोनर्स के परिवार व डॉक्टर्स की टीम व पुलिस के आभारी हैं, जिनके संयुक्त प्रयास से हमारे मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट हो पाई। उन्होंने कहा कि अब वह खुद भी अंगदान का फार्म भरेंगे ताकि मरणोपरांत उनके अंग भी किसी के काम आ सकें।
पंजाब में पहली बार शुरुआत हुई, उम्मीद है आर्गन डोनेशन का सिलसिला जारी रहेगा: डॉ. औलख
शुक्रवार को प्रैस कांफ्रैंस में अकाई अस्पताल के चीफ ट्रांसप्लांट सजर्न डॉ. बलदेव सिंह औलख ने कहा कि ब्रेन डेड मरीज की किडनी, लिवर, हार्ट, पेनक्रियाज समेत 8 अंग व 50 टिश्यूज दूसरे मरीजों के काम आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्पेन व ऑस्ट्रिया जैसे देशों में लोग जन्मजात आर्गन डोनर होते हैं लेकिन हमारे यहां आर्गन डोनेशन को लेकर इतनी जागरूकता नहीं है। पंजाब में पहली बार ब्रेन डैड मरीज की किडनी ट्रांसप्लांट हुई है। नोटो (नैशनल आर्गन एंड टिश्यूज ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन), रोटो नोटो (रीजनल ऑर्गन एंड टिश्यूज ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन) के हैड विपन कौशल व सोटो(स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यूज ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन) के हैड डॉ. गगनीन कौर, पुलिस प्रशासन व अकाई अस्पताल की पूरी टीम की कोआर्डिनेशन से यह संभव हुआ। उम्मीद है कि इस शुरुआत के बाद अब पंजाब में भी ब्रेन डैड मरीज के अंगदान का सिलसिला तेज होगा।
किडनी ला रही गाड़ी के आगे लगी पुलिस की पायलट, टोल पर भी नहीं रोका
ब्रेन डैड मरीज की किडनी 24 घंटे, लिवर 6 से 8 व हार्ट 6 घंटों से कम वक्त में ट्रांसप्लांट हो जाने चाहिए। उधर, सरकार व पुलिस से तालमेल किया गया ताकि किडनी को कम से कम वक्त में लुधियाना पहुंचाया जा सके। इसके लिए ‘ग्रीन कोरिडोर’ बनाया गया। जिस गाड़ी में किडनी को लाया जा रहा था, उसे मोहाली से लुधियाना तक पुलिस ने एस्कार्ट किया। गाड़ी को टोल प्लाजा पर भी रोका नहीं गया। इसके चलते दोनों मरीजों को 6 से आठ घंटे के भीतर किडनी ट्रांसप्लांट कर दी गई।