Site icon Dainik Savera Times | Hindi News Portal

जानिए कैसे Blood Cancer के विकास को तेज कर सकता है Diabetes

वाशिंगटन: भारतीयअमरीकी वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए शोध से यह बात सामने आई है कि मल्टीपल मायलोमा (कैंसर कोशिकाओं द्वारा निर्मित खतरनाक एंटीबॉडी) से पीड़ित मरीज जिन् हें मधुमेह भी है, उनमें जीवित रहने की दर मधुमेह रहित लोगों की तुलना में कम होती है। जांचकर्त्ता लंबे समय से मधुमेह के रोगियों में मल्टीपल मायलोमा (कैंसर कोशिकाओं द्वारा निर्मित खतरनाक एंटीबॉडी) के बढ़ते जोखिम के बारे में जानते हैं, इन स्थितियों के साथ रहने वाले लोगों के बीच जीवित रहने की दर की जांच करने वाला यह पहला अध्ययन है।

ब्लड एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, एक उपसमूह विश्लेषण में मधुमेह के कारण जीवित रहने में यह अंतर श्वेत रोगियों में देखा गया, लेकिन अश्वेत रोगियों में नहीं। मैमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सैंटर में मल्टीपल मायलोमा विशेषज्ञ उर्वी शाह ने कहा, ‘हम पूर्व अध्ययनों से जानते थे कि मल्टीपल मायलोमा और मधुमेह वाले रोगियों में जीवित रहने की दर कम होती है।’ उन्होंने कहा कि हम यह नहीं जानते थे कि ये परिणाम अलग-अलग नस्लों में कैसे भिन्न होते हैं। श्वेत व्यक्तियों की तुलना में अश्वेत व्यक्तियों में मधुमेह अधिक आम है, और हम यह समझना चाहते थे कि क्या यह अंतर दोनों स्थितियों वाले रोगियों के स्वास्थ्य परिणामों में भूमिका निभा सकता है।’

बड़ी खबरें पढ़ेंः Sukhpal Singh Khaira की गिरफ्तारी पर राज्यपाल ने DGP से मांगा जवाब, SIT की रिपोर्ट तलब

इन निष्कर्षों के पीछे के तंत्र की जांच करते समय डा. शाह और सहकर्मियों ने देखा कि माऊस मॉडल में मोटे मधुमेह वाले चूहों में गैर-मधुमेह वाले चूहों की तुलना में मल्टीपल मायलोमा ट्यूमर अधिक तेजी से बढ़ा। डा. शाह और सहकर्मियों का लक्ष्य उन उपचारों की पहचान करना है जो मल्टीपल मायलोमा और अतिसक्रिय इंसुलिन सिग्नलिंग मार्ग दोनों के विकास को रोकते हैं। उनका मानना है कि यह मल्टीपल मायलोमा और मधुमेह के रोगियों में प्रचलित हो सकता है।

5,383 रोगियों के इलैक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य देखभाल रिकॉर्ड से डाटा किया एकत्र
शोधकर्त्ताओं ने एक अध्ययन किया, जिसमें मल्टीपल मायलोमा वाले 5,383 रोगियों के इलैक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य देखभाल रिकॉर्ड से डाटा एकत्र किया गया। इसमें शामिल 15 प्रतिशत रोगियों को मधुमेह था। (श्वेत रोगियों में 12 प्रतिशत और अश्वेत रोगियों में 25 प्रतिशत) डॉ. शाह और सहकर्मियों ने देखा कि मायलोमा वाले रोगियों जिन् हें मधुमेह भी है, उनमें जीवित रहने की दर मधुमेह रहित लोगों की तुलना में कम थी। इस समूह में 60 वर्ष से अधिक उम्र के श्वेत रोगियों की तुलना में 45-60 वर्ष के अश्वेत रोगियों में मधुमेह 50 प्रतिशत अधिक था।

Exit mobile version