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‘कोई मुझसे खुश क्यों नहीं’, महिलाओं के मन में उठता है ये सवाल तो इन बातों का रखें ध्यान

आखिर व्यक्ति को क्या करना चाहिए जिससे कभी यह ख्याल दिल को जख्मी न करे कि मुझसे कोई खुश क्यों नहीं? कुछ बातें हैं जिन पर अमल कर इस दुखदायी फीलिंग से बचा जा सकता है। कुछ उसूलों पर चला जाए, कुछ बातों से बचा जाए, उन्हें अनदेखा किया जाए, बस फिर आप भी सबसे.

आखिर व्यक्ति को क्या करना चाहिए जिससे कभी यह ख्याल दिल को जख्मी न करे कि मुझसे कोई खुश क्यों नहीं? कुछ बातें हैं जिन पर अमल कर इस दुखदायी फीलिंग से बचा जा सकता है। कुछ उसूलों पर चला जाए, कुछ बातों से बचा जाए, उन्हें अनदेखा किया जाए, बस फिर आप भी सबसे अच्छे रिश्ते रख सकती हैं, बेशक कुछ सिरफिरों को छोड़कर। उनकी आप परवाह न करें, न उनके बारे में सोचसोच कर अपनी नींदें हराम करें क्योंकि जब तक दुनिया रहेगी ऐसे लोग भी रहेंगे जो शत प्रतिशत ’नेगेटिव‘ सोच लिए होते हैं और अपनी बातों से टस से मस नहीं होते। नेगेटिव बातों से बचें: यह जीवन कितना छोटा है, मौत के करीब पहुंचकर पता चलता है।

नेगेटिव बातों से किसी का भला नहीं होता, सिर्फ ऊर्जा का क्षरण होता है। कई लोग बॉर्न सेडिस्ट होते हैं। उन्हें दूसरों को पीड़ा पहुंचाने में ही आनंद आता है फिर चाहे मानसिक पीड़ा हो या शारीरिक। ऐसे लोगों से निपटना आना चाहिए। शारीरिक पीड़ा देने वाले के लिए तो जेल की सलाखें हैं किंतु मानसिक पीड़ा का प्रूफ जुटाना मुश्किल है। इससे बचने का कारगर तरीका है आप रिएक्ट न करें। सामने वाला तो चाहता है कि आप रिएक्ट करें ताकि उसे और ज्यादा टॉर्चर करने का मौका मिले। किसी बददिमाग, स्ट्रॉग हैंडेंड व्यक्ति के साथ बहस में कभी न उलझें चाहे आप कितने ही सही हों। संभव हो तो हां में हां मिला कर बात खत्म कर दें। सोच लचीली रखने पर ही लड़ाई झगड़े, मन मुटाव व वैमनस्य से बचा जा सकता है, औरों को खुशी बांटी जा सकती है।

किसी की भी सही बात को उलटा कर देखना बहुत आसान है। मजा तो तब है जब आप उलटी बात को भी सीधा ही कर के देखें तथा उलटा बोलने वाले के प्रति विनम्र बने रहें। याद रखिए यह बुजदिली नहीं है। गलत सोच, गलत रवैय्या और उसे लेकर तने रहना, रिजिड रहना ऐसा दुर्गुण है जो कुंठित व्यक्तित्व को जन्म देता है। फिर ऐसे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति से भला कौन खुश रह सकता है। हम अपने को देखे बगैर दूसरों में दोष ढूंढते हैं चूंकि ऐसा करना हमें सुविधाजनक लगता है। ब्लेम गेम छोड़कर अगर हम इन्ट्रॉस्पेक्श्न गेम खेलना शुरू कर दें तो हमारे लिये अच्छा होगा। अपनी कमियां हम जान सकेंगे और दूसरे के गुणों को भी पहचान पाएंगे।

बहुत सारे दुख और ज्यादातर झगड़ों का कारण हमारा दूसरों से बहुत उम्मीद लगा बैठना होता है। हमने उसके लिये ये किया, वो किया मगर उसने हमारे लिए क्या किया? तुमसे यह उम्मीद न थी, यह जुमला अक्सर यहां वहां सुनने में आता है। न आप ज्यादा अपेक्षा रखेंगे तो न ही उनके टूटने का गम आपको सताएगा, न ही मन में क्षोभ होगा और वैमनस्य बढ़ेगा। हर रिश्ते में संतुलन बना रहे तो भला क्यों आपको यह बात पिंच करेगी कि कोई मुझसे खुश क्यों नहीं।

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