पटना। बिहार के अधिकांश जिले के लोग बेसब्री से बारिश का इंतजार कर रहे हैं। पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में बादल उमड़-घुमड़ कर लौट जा रहे हैं। बादलों की बेरुखी ने किसानों की उम्मीदें तोड़ दी हैं। खेत सूखने लगे हैं। रोपी जा चुकी धान की फसल झुलसने की ओर बढ़ रही है। किसान निराश और चिंतित हैं। बताया जाता है कि अब तक प्रदेश में जितनी बारिश होनी चाहिए थी, उससे 31 प्रतिशत कम हुई है।
इधर, सरकार ने सूखे की आशंका को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। पटना, गया, बक्सर जैसे जिलों में आसमान में बादल छा तो रहे हैं, लेकिन झमाझम बारिश नहीं हुई है। दिन में धूप-छांव का खेल चल रहा है। लोग चिपचिपी गर्मी और उमस से बेहाल नजर आ रहे हैं। किसान कहते हैं कि रोपी गई धान की फसल झुलस रही है। कई इलाकों में तो धान की रोपनी नहीं हुई है। किसान अभी से ही धान की फसल को बचाने के लिए पंपिंग सेट का उपयोग करने लगे हैं। पिछले 10 दिन से झमाझम बारिश नहीं होने से किसान फसल को लेकर गहरी चिंता में डूब गए हैं। बढ़ते तापमान ने भी किसानों को परेशान कर दिया है।
आंकड़ों पर गौर करें तो जुलाई में अभी तक प्रदेश में 451 मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए थी, लेकिन अब तक 311 मिलीमीटर बारिश हुई है। बताया जाता है कि पटना सहित राज्य के 37 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है, इनमे 12 जिले ऐसे है जिसमें 40 प्रतिशत से कम बारिश हुई है।
मौसम विभाग की मानें तो अगले एक सप्ताह में झमाझम बारिश की उम्मीद नहीं है। हालांकि कई जिलों में हल्की बारिश की उम्मीद है। धान का कटोरा कहे जाने वाला शाहाबाद में भी इस साल सामान्य से कम बारिश हुई हैं। यहां के किसान अब धान की रोपनी के लिए पंपिंग सेट पर निर्भर हैं। गोपालगंज में मानसून के प्रवेश के बाद तो बारिश हुई थी, लेकिन अब बारिश को लेकर किसान टकटकी लगाए हुए हैं।
इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संभावित सूखे को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक और समीक्षा कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ने सूखे की स्थिति की समीक्षा करते हुए सूखा संभावित इलाकों में आठ घंटे के बजाए 14 घंटे निर्बाध बिजली उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने कम वर्षा की स्थिति को देखते हुए किसानों को डीजल अनुदान की स्वीकृति देने के भी निर्देश दिए। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल संसाधन विभाग को निर्देश दिया है कि किसानों के हित में नहर के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए जिससे किसानों को पटवन में सहूलियत हो।