नई दिल्लीः फिल्म उद्योग में पायरेसी मुद्दों को नियंत्रित करने पर केन्द्रित चलचित्र (संशोधन) विधेयक, 2023 बृहस्पतिवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग को काफी नुकसान होता है और यह विधेयक इसके कारण फिल्मों को होने वाले नुकसान से बचाएंगा। यह विधेयक चलचित्र अधिनियम 1952 को संशोधित करेगा। ठाकुर ने कहा, कि ‘पायरेसी कैंसर की तरह है और इस कैंसर को जड़ से खत्म करने के लिए हम इस विधेयक के माध्यम से प्रयास कर रहे हैं। पायरेसी के कारण फिल्म जगत को 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। आज फिल्म जगत की बहुत लंबे समय से आ रही मांग को पूरा करने का काम किया गया है।’’
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में फिल्म प्रमाणन की प्रक्रिया को भी आसान करने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां कहानी सुनाने की प्रथा रही है और भारत के पास वह सब उपलब्ध है जो भारत को दुनिया का ‘कंटेंट हब’ बना सकता है। उन्होंने कहा, कि ‘आज विश्व की बड़ी से बड़ी फिल्मों का पोस्ट-प्रोडक्शन का काम हिंदुस्तान में होता है। एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट, ग्राफिक्स सेक्टर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। कुल मिलाकर फिल्म जगत को एक बहुत बड़े अवसर के रूप में देखना चाहिए और एक बहुत बड़ी ताकत के रूप में देखना चाहिए।’’ इससे पहले विधेयक पर चर्चा करते हुए विभिन्न दलों के सदस्यों ने फिल्मों की ‘‘पायरेसी’’ को विश्व में सर्वाधिक फिल्में बनाने वाले इस देश के मनोरंजन उद्योग की एक बड़ी समस्या बताते हुए कहा कि इससे निपटने के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए।
साथ ही उन्होंने सेंसर बोर्ड की प्रमाणन प्रक्रिया को और अधिक मजबूत बनाने की वकालत की ताकि फिल्मों में भारतीय संस्कृति का समुचित चित्रण हो सके। चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल के प्रशांत नंदा ने कहा कि वह पिछले पचास साल से फिल्म उद्योग से जुड़े हैं। उन्होंने फिल्में बनायी हैं और उन्होंने पायरेसी की समस्या का सामना किया है। उन्होंने कहा कि किसी भी हिंदी फिल्म को जिस दिन रिलीज किया जाता है, अगले दिन ही वह (पायरेसी के कारण) दुबई में दिखायी जाने लगती है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में पायरेसी के आरोप साबित होने पर तीन साल तक की सजा और दस लाख रूपये तक का जुर्माना प्रावधान किया गया है।
नंदा ने फिल्मों के वर्गीकरण के लिए विधेयक में नयी श्रेणियां बनाये जाने के प्रावधान का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि यदि किसी फिल्म के बारे में सेंसर बोर्ड के निर्णय की समीक्षा की जाती है तो यह काम उन्हीं सदस्यों को नहीं दिया जाना चाहिए जिन्होंने इसका निर्णय किया था। उन्होंने कहा कि समीक्षा का काम बोर्ड के अन्य सदस्यों को दिया जाना चाहिए। नंदा ने कहा कि इस विधेयक के मामले में कुछ और विचार विमर्श किए जाने की आवशय़कता है। उन्होंने कहा कि आज ओटीटी मंच पर दिखायी जाने वाली फिल्मों और धारावाहिकों के संवादों में गालियां दिखायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए इन्हें रोके जाने की आवश्यकता है।
नंदा जब अपनी बात रख रहे थे, उसी दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराये जाने और प्रधानमंत्री के बयान की मांग पर सदन से बहिर्गमन किया। चलचित्र (संशोधन) विधेयक 2023 को चर्चा के लिए रखते हुए ठाकुर ने कहा कि पायरेसी एक ‘दीमक’ की तरह भारतीय फिल्म उद्योग को खा रही है और इसको रोकने के लिए लाये गये चलचित्र (संशोधन) विधेयक से उद्योग के हर सदस्य को लाभ मिलेगा और सिनेमा के माध्यम से भारत एक ‘साफ्ट पॉवर’ की तरह तेजी से उभरेगा। ठाकुर ने कहा कि चार दशकों में बहुत बदलाव आया है। उन्होंने कहा, कि ‘दर्शकों की संख्या भी बहुत बढ़ी है। भारतीय फिल्मों की साख भी बहुत बढ़ी है। आज विश्व में सबसे अधिक फिल्म बनाने वाला देश भारत है।’’ उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी फिल्म निर्माता या निर्देशक के पक्ष में ना होकर स्पॉट ब्वाय, स्टंट मैन से लेकर कोरियोग्राफर तक सिनेमा उद्योग से जुड़े हर व्यक्ति के हित में लाया गया है।