बीआरएस नेता कविता ने 47 दलों से संसद सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करने का आग्रह किया

हैदराबाद: भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के कविता ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस सहित 47 राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर उनसे संसद के आगामी विशेष सत्र में एकजुट होने और बहुप्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने का आग्रह किया। कविता ने जिन नेताओं को पत्र लिखा है, उनमें भाजपा.

हैदराबाद: भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के कविता ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस सहित 47 राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर उनसे संसद के आगामी विशेष सत्र में एकजुट होने और बहुप्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने का आग्रह किया। कविता ने जिन नेताओं को पत्र लिखा है, उनमें भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरंविद केजरीवाल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी शामिल हैं।

नेताओं को अलग-अलग संबोधित पत्र में कविता ने उनसे राजनीतिक मतभेदों को दूर करने और विधेयक को पारित करने को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को बढ़ा हुआ प्रतिनिधित्व विशिष्टता का मामला नहीं है, बल्कि अधिक न्यायसंगत और संतुलित राजनीतिक परिदृश्य कायम करने का एक जरिया है। उन्होंने लिखा, ‘‘मुझे पूरी उम्मीद है कि सभी राजनीतिक दल दलगत हितों से ऊपर उठेंगे और महिला आरक्षण विधेयक के समर्थन में एकजुट होंगे, जो काफी लंबे समय से अधर में लटका हुआ है।’’

तेलंगाना से विधान परिषद सदस्य और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी कविता ने भारत के राजनीतिक विमर्श में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और विधायी निकायों में उनके प्रतिनिधित्व की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत की आबादी में महिलाओं की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है और वे समाज के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन जब राज्य विधानसभाओं और संसद में विधायी प्रतिनिधित्व की बात आती है, तो उनकी उपस्थिति ‘‘अपर्याप्त’’ बनी हुई है। कविता ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट असमानता हमारे देश की प्रगति में बाधा डालती है और लोकतंत्र के उन सिद्धांतों को कमजोर करती है, जो हमारे देश की बुनियाद हैं। विधायी चर्चा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कई कारणों से अत्यंत महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने पत्र में सार्वजनिक जीवन में पहले से ही सक्रिय 14 लाख महिलाओं द्वारा डाले गए प्रभाव पर प्रकाश डाला, जो प्रभावी ढंग से नेतृत्व करने और शासन करने की उनकी क्षमता का प्रदर्शन करता है। कविता महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की मांग उठाने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल हैं, जो लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत कोटा प्रदान करने का प्रावधान करता है। वह विधेयक को पेश करने और पारित करने की मांग को लेकर मार्च की शुरुआत में भूख हड़ताल पर बैठी थीं और इस पर कानून बनाने की अपील को आगे बढ़ाने के लिए पूरे देश में राजनीतिक दलों और नागरिक समाज संगठनों के साथ बातचीत कर रही हैं। संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर तक आयोजित होगा।

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