सीआईएबीसी ने बिहार सरकार से शराब की खपत, बिक्री पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया

नई दिल्लीः मादक पेय विनिर्माता निकाय सीआईएबीसी ने शनिवार को बिहार सरकार से शराब की बिक्री पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया। निकाय ने कहा कि ऐसा करने से राज्य के राजस्व संग्रह को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि मणिपुर में 30 साल के अंतराल के बाद शराब की बिक्री और खपत.

नई दिल्लीः मादक पेय विनिर्माता निकाय सीआईएबीसी ने शनिवार को बिहार सरकार से शराब की बिक्री पर प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया। निकाय ने कहा कि ऐसा करने से राज्य के राजस्व संग्रह को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि मणिपुर में 30 साल के अंतराल के बाद शराब की बिक्री और खपत को वैध कर दिया गया है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने यह भी कहा कि बिहार में शराबबंदी खत्म होने से वहां की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, खराब गुणवत्ता वाली शराब का गैरकानूनी व्यापार खत्म होगा और जहरीली शराब की त्रसदियों को रोका जा सकेगा। सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरि ने कहा कि मणिपुर सरकार ने एक सकारात्मक कदम उठाया है और इससे राज्य को 600-700 करोड़ रुपये का वार्षकि कर राजस्व अर्जित करने और अवैध शराब की बिक्री के खतरे से निपटने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘बिहार सरकार को भी इसका पालन करना चाहिए और शराबबंदी हटानी चाहिए।’’ गिरि ने कहा कि बिहार अवैध और नकली शराब के प्रसार, जहरीली शराब की घटनाओं, अपराध सिंडिकेट के बढऩे और वैध सरकारी राजस्व के नुकसान के रूप में शराबबंदी नीति की ‘भारी कीमत’ चुका रहा है। उन्होंने कहा, बिहार शराबबंदी को इस तरह खत्म कर सकता है कि सरकार वांछित सामाजिक लक्षय़ों से समझौता किए बिना राज्य के विकास के लिए राजस्व प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा, ‘‘हमने सुझाव दिया है कि शराब फैक्टरियां अपने कर्मचारियों में से 50 प्रतिशत महिलाओं को रखेंगी, जिससे महिलाओं का वास्तविक आर्थिक सशक्तिकरण होगा। हमने शराब मुक्ति और पुनर्वास केंद्रों को वित्तपोषित करने के लिए शराब की बिक्री पर एक विशेष उपकर लगाने का भी प्रस्ताव किया है।’’ मणिपुर सरकार ने 30 से अधिक वर्षों के प्रतिबंध के बाद सात दिसंबर को राज्य में शराब की बिक्री और खपत को वैध कर दिया था।

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