कृषि क्षेत्र में पानी के उपयोग को कम करने के निरंतर किए जा रहे हैं प्रयास : Gajendra Shekhawat

नई दिल्लीः सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि स्मार्ट सिंचाई, लघु सिंचाई, राष्ट्रीय जल मिशन, ‘कैच द रेन’ और सही फसल अभियान आदि के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में पानी के उपयोग को कम करने के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी के पूरक प्रश्न के उत्तर में.

नई दिल्लीः सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि स्मार्ट सिंचाई, लघु सिंचाई, राष्ट्रीय जल मिशन, ‘कैच द रेन’ और सही फसल अभियान आदि के माध्यम से कृषि के क्षेत्र में पानी के उपयोग को कम करने के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। लोकसभा में अधीर रंजन चौधरी के पूरक प्रश्न के उत्तर में जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने यह बात कहीं। चौधरी ने पूछा था कि क्या सरकार ने ‘वचरुअल वाटर ट्रेड’ पर संज्ञान लिया है ? इसकी क्या चुनौतियां एवं अवसर हैं ? इस पर शेखावत ने कहा कि भारत चीनी, चावल, कपास आदि का निर्यात करता है जिसके उत्पादन में काफी पानी का उपयोग होता है, ऐसे में यह परोक्ष रूप से पानी से जुड़ा होता है।

उन्होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में पानी के उपयोग को कम करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। इस सिलसिले में स्मार्ट सिंचाई, लघु सिंचाई, राष्ट्रीय जल मिशन, ‘कैच द रेन’ और सही फसल अभियान आदि को बढ़ावा दिया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत जमीनी स्तर पर सिंचाई में निवेश और हर खेत को सिंचाई के माध्यम से कृषि योग्य क्षेत्र का विस्तार किया जाता है और जल की बर्बादी को कम करने के लिए खेतों में जल उपयोग दक्षता को बढ़ाया जाता है। शेखावत ने बताया कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग सात राज्यों के चिन्हित जल की कमी वाले क्षेत्रों में अटल भूजल योजना को कार्यान्वित कर रहा है। यह योजना स्थायी भूजल प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी और मांग पक्ष के कार्यकलापों पर केंद्रित है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जल मिशन ने प्रतिष्ठित संस्थानों के माध्यम से सिंचाई परियोजनाओं के आधारभूत अध्ययन और उद्योगों में जल उपयोग दक्षता के मानक से जुड़ा अध्ययन शुरू किया है। जल शक्ति मंत्री ने कहा कि जल शक्ति अभियान-‘कैच द रेन’ अभियान और सही फसल अभियान ने जल के विवेकपूर्ण उपयोग को लेकर जागरूकता पैदा की है। सही फसल अभियान के अंतर्गत ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जाता है जो जल उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुकूल होती है।

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