DGCA ने पायलटों की ड्यूटी थकान रहित बनाने के लिए नियमों में किया बदलाव

नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने विमानों के पायलटों की उड़ान ड्यूटी के नियमों में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किये हैं जिसके बाद पायलटों की थकान संबंधी सुरक्षा जोखिमों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।

नयी दिल्ली: नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने विमानों के पायलटों की उड़ान ड्यूटी के नियमों में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किये हैं जिसके बाद पायलटों की थकान संबंधी सुरक्षा जोखिमों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने आज यहां बताया कि डीजीसीए ने अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप, उड़ान चालक दल के लिए उड़ान ड्यूटी समय सीमा (एफडीटीएल) से संबंधित नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं जिससे पिछले एक दशक से भी अधिक समय से थकान संबंधी विमानन सुरक्षा जोखिमों का समुचित प्रबंधन किया जा सकेगा।

नियमों में परिवर्तन नागरिक उड्डयन क्षेत्र में बहुप्रतीक्षित सुधारों सुनिश्चित करेंगे और ये सुधार पायलटों की थकान को दूर करने, समग्र उड़ान सुरक्षा को बढ़ाने और भारत में विमानन क्षेत्र की अनुमानित वृद्धि के साथ इसे संतुलित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। संशोधित एफडीटीएल नियम तत्काल प्रभावी हो गये हैं और एयरलाइन ऑपरेटरों को एक जून तक संशोधित नियमों का अनिवार्य रूप से पालन करने की हिदायत दी गयी है। इससे एयरलाइन ऑपरेटरों को लॉजिस्टिक्स, सिस्टम परिवर्तन और परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए परिवर्तनों को अपनाने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।

नियमों में जो परिवर्तन किये गये हैं उनमें उड़ान चालक दल के लिए साप्ताहिक आराम अवधि का विस्तार करके 36 घंटे से बढ़ाकर 48 घंटे करने का आदेश दिया गया है। इस प्रकार पायलटों को लगातार ड्यूटी से होने वाली थकान से उबरने के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा। रात्रि ड्यूटी के लिए रात की परिभाषा में संशोधन किया गया है, जो अब पिछले नियमों के तहत मध्य रात्रि 12 बजे से सुबह पांच बजे की बजाय संशोधित नियमों में मध्यरात्रि 12 बजे से सुबह छह बजे तक अवधि को रात माना गया है। सुबह के समय एक घंटे की यह वृद्धि पर्याप्त आराम सुनिश्चित करेगी और रात्रि ड्यूटी अवधि में रात्रि 0200-0600 बजे के बीच विंडो ऑफ सर्कैन्डियन लो (डब्ल्यूओसीएल) शामिल किया गया है यानी वह समय जिसके दौरान सर्कैन्डियन बॉडी क्लॉक चक्र अपने सबसे निचले स्तर पर होता है।

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