21वीं सदी के लक्ष्यों को हासिल करने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका : PM Modi

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश 21 वीं सदी में जिन लक्ष्यों को हासिल करना चाहता है उन्हें अर्जित करने में शिक्षा प्रणाली की बहुत बड़ी भूमिका है। मोदी ने शनिवार को यहां नवनिर्मित भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। संयोग से यह.

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश 21 वीं सदी में जिन लक्ष्यों को हासिल करना चाहता है उन्हें अर्जित करने में शिक्षा प्रणाली की बहुत बड़ी भूमिका है। मोदी ने शनिवार को यहां नवनिर्मित भारत मंडपम में अखिल भारतीय शिक्षा समागम का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। संयोग से यह सम्मेलन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की तीसरी वर्षगांठ के मौके पर आयोजित हो रहा है। उन्होंने ‘पीएम श्री योजना’ के तहत निधि की पहली किस्त भी जारी की। इसमें 6207 स्कूलों को कुल 630 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई। उन्होंने 12 भारतीय भाषाओं में अनूदित शिक्षा और कौशल पाठ्यक्रम की पुस्तकों का भी विमोचन किया। उन्होंने इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा राष्ट्र के भाग्य को बदल शक्ति है। उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी का भारत जिन लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ रहा है, उन्हें अर्जित करने में हमारी शिक्षा प्रणाली की बहुत बड़ी भूमिका है।’’ अखिल भारतीय शिक्षा समागम के महत्व पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा के लिए चर्चा और संवाद महत्वपूर्ण है। उन्होंने वाराणसी के नवनिर्मित रुद्राक्ष सम्मेलन केंद्र में हुए पिछले अखिल भारतीय शिक्षा समागम और इस वर्ष के अखिल भारतीय शिक्षा समागम के बिल्‍कुल नए भारत मंडपम में होने के संयोग का उल्लेख किया। औपचारिक उद्घाटन के बाद मंडपम में यह पहला कार्यक्रम है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी के रुद्राक्ष से लेकर आधुनिक भारत मंडपम तक प्राचीन और आधुनिकता के समावेश की अखिल भारतीय शिक्षा समागम की यात्रा में एक संदेश छिपा हुआ है। उन्होंने कहा कि एक तरफ भारत की शिक्षा प्रणाली देश की प्राचीन परंपराओं को संरक्षित कर रही है, वहीं दूसरी ओर, राष्ट्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है। प्रधानमंत्री ने शिक्षा क्षेत्र में योगदान देने वालों को बधाई दी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तीसरी वर्षगांठ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और शिक्षकों को इसे एक मिशन के रूप में लेने और योगदान देने के लिए धन्यवाद दिया। मोदी ने कहा कि युगांतरकारी परिवर्तनों में कुछ समय लगता है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के संदर्भ में सभी हितधारकों के समर्पण और नई अवधारणाओं को अपनाने की इच्छा की सराहना की।

उन्होंने कहा कि इसमें पारंपरिक ज्ञान और भविष्य की प्रौद्योगिकियों को समान महत्व दिया गया है। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा में नए पाठ्यक्रम, क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकों, उच्च शिक्षा के लिए देश में अनुसंधान ‘इकोसिस्‍टम’ को सुदृढ़ बनाने के लिए हितधारकों की कड़ी मेहनत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने संसद में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक पेश करने को मंजूरी दे दी है। नई शिक्षा नीति के तहत राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा शीघ्र ही सामने आएगा। तीन से आठ साल के छात्रों के लिए रूपरेखा तैयार है। पूरे देश में एक समान पाठ्यक्रम होगा और एनसीईआरटी इसके लिए नए पाठ्यक्रम की पुस्‍तकें तैयार कर रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि क्षेत्रीय भाषाओं में दी जा रही शिक्षा के परिणामस्वरूप 22 विभिन्न भाषाओं में कक्षा 3 से 12 के लिए लगभग 130 विभिन्न विषयों की नई पुस्तकें आ रही हैं।

मोदी ने कहा कि किसी भी छात्र के साथ सबसे बड़ा अन्याय यह है कि उसकी क्षमता के बजाय उसकी भाषा के आधार पर उसका आकलन किया जाए। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मातृभाषा में शिक्षा भारत में छात्रों के लिए न्याय के एक नए रूप की शुरुआत कर रही है। यह सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक बहुत ही उल्‍लेखनीय कदम है।’’ विश्‍व में भाषाओं की अधिकता और उनके महत्व को देखते हुए, प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि विश्‍व के कई विकसित देशों को उनकी स्थानीय भाषा के कारण बढ़त मिली है। प्रधानमंत्री ने यूरोप का उदाहरण देते हुए कहा कि ज्यादातर देश अपनी मूल भाषाओं का उपयोग करते हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि भले ही भारत में स्थापित भाषाओं का एक श्रृंखला समूह है, लेकिन उन्हें पिछड़ेपन के संकेत के रूप में प्रस्तुत किया गया था, और जो अंग्रेजी नहीं बोल सकते थे, उनकी उपेक्षा की गई थी और उनकी प्रतिभा को पहचान नहीं मिली थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश ने अब राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्भव के साथ इस विश्वास से किनारा करना शुरू कर दिया है। श्री मोदी ने कहा ‘‘संयुक्त राष्ट्र में भी मैं भारतीय भाषा में ही बोलता हूं।’’

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