यूट्यूब पर असली लगने वाले बनावटी कंटेंट का खुलासा करना होगा: गूगल

नयी दिल्ली: डीपफेक से निपटने के लिए नियमों को कड़ा करते हुए गूगल ने बुधवार को कहा कि यूट्यूब पर कंटेंट पोस्ट करने वालों को किसी भी बनावटी या कृत्रिम सामग्री के बारे में खुलासा करना होगा। गूगल ने कहा कि वह अपनी गोपनीयता अनुरोध प्रक्रिया का इस्तेमाल करके यूट्यूब पर कृत्रिम मेधा (एआई) से.

नयी दिल्ली: डीपफेक से निपटने के लिए नियमों को कड़ा करते हुए गूगल ने बुधवार को कहा कि यूट्यूब पर कंटेंट पोस्ट करने वालों को किसी भी बनावटी या कृत्रिम सामग्री के बारे में खुलासा करना होगा।

गूगल ने कहा कि वह अपनी गोपनीयता अनुरोध प्रक्रिया का इस्तेमाल करके यूट्यूब पर कृत्रिम मेधा (एआई) से बनी या अन्य कृत्रिम अथवा बनावटी सामग्री को हटाएगा। खासतौर से विख्यात लोगों के चेहरे या आवाज का इस्तेमाल करने पर ऐसा किया जाएगा।

गूगल ने एक बयान में कहा, ”आने वाले महीनों में यूट्यूब पर कंटेंट पोस्ट करने वालों को एआई टूल का उपयोग करने सहित किसी भी बनावटी या कृत्रिम सामग्री के बारे में बताना होगा। हम दर्शकों को विवरण पैनल और वीडियो प्लेयर में लेबल के जरिए ऐसी सामग्री के बारे में बताएंगे। हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।” इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल में सोशल मीडिया मंचों को डीपफेक के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

वीडियो में किसी व्यक्ति के चेहरे या शरीर को डिजिटल रूप से बदलने को डीपफेक कहते हैं। मशीन र्लिनंग और एआई से बने ये वीडियो किसी को भी आसानी से धोखा दे सकते हैं।

गूगल ने कहा कि डीपफेक और एआई-जनित भ्रामक सूचना से निपटने के लिए कोई जादुई समाधान नहीं है और इसके लिए एक सहयोगात्मक प्रयास की जरूरत है।

गूगल ने कहा कि उसने जवाबदेह एआई के लिए अपनी तरह का पहला बहु-विषयक केंद्र स्थापित करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-मद्रास को 10 लाख डॉलर का अनुदान दिया है।

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