चंडीगढ़: हरियाणा के चार लाख से अधिक बच्चों का सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। ये बच्चे सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के एसआरएन (स्टूडेंट रजिस्ट्रेशन नंबर) में दिखाई नहीं दे रहे हैं। यानी इन बच्चों को किसी भी स्कूल में नहीं दिखाया गया है। इससे राज्य के जीईआर ‘ग्रास इनरोलमेंट रेश्यो’ में गहरी गिरावट प्रतीत हो रही है। यह आंकड़ा परिवार पहचान पत्र से हरियाणा के नागरिकों का डाटा मिलान करने के बाद शिक्षा विभाग को प्राप्त हुआ है। जिसे विभाग ने अधिकारियों के साथ शेयर किया है। अब विभाग ऐसे बच्चों की पहचान करने के लिए हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद के माध्यम से आउट ऑफ स्कूल बच्चों की मैपिंग करवाएगा।
जिसमें नॉन स्टार्टर और ड्रॉप आउट बच्चों की पहचान की जाएगी। दरअसल, शिक्षा विभाग राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अनुपालना में जीईआर को 100 फीसदी करना चाहता है। इसमें 6 से 18 आयुवर्ग के सभी बच्चे स्कूल जाएं, यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है। इसमें एक जनवरी 2005 के बाद और 2019 से पूर्व जन्में सभी बच्चे स्कूलों की पहली से बारहवीं कक्षा में जाएं और 2018 के बाद जन्में 3 से 5 वर्ष के बच्चे पूर्व प्राथमिक औपचारिक शिक्षा के दायरे में आएं। इसी उद्देश्य के साथ विभाग अब ऐसे बच्चों की पहचान करने के लिए मैपिंग करवाएगा।
मैपिंग के बाद अगले शैक्षणिक सत्र में दिलाएंगे दाखिला शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि 6 से 18 वर्ष के ऐसे सभी बच्चों की मैपिंग की जाए, जो किसी भी स्कूल में नहीं जा रहे हैं। उन्हें स्कूलों के माध्यम से पहचान करवाई जाए। क्योंकि अप्रैल में नामांकन अभियान ‘प्रवेश उत्सव’ में यह बच्चे स्कूलवार, वार्ड वार, गांव वार लक्ष्य पर होंगे और स्कूलों में दाखिला लेंगे। इनकी पहचान का कार्य जनवरी-फरवरी में संपन्न करवाया जाएगा। इन नए बच्चों के लिए पुस्तकों, ड्यूल डैस्क, वर्दी, कमरों और अध्यापकों की व्यवस्था करवाई जा सके। इसके लिए संभावित संख्या जानना अनिवार्य है। विभाग द्वारा अकसर यह कार्य मार्च-अप्रैल में सर्वे के माध्यम से किया जाता है। इससे नए दाखिल बच्चों की निशुल्क हकदारियों को उपलब्ध करवाने के लिए बजट की स्वीकृति होने में समय लग जाता था और इन बच्चों की पढ़ाई का प्रबंध करने में स्कूल को दिक्कत आती थी। बताया गया कि फरवरी तक संपन्न होगा बच्चों की पहचान का कार्य।