चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने बृहस्पतिवार को अपनी सरकार के नौ वर्ष पूरे होने पर इसके कामकाज का लेखा-जोखा पेश किया, जिसमें सरकार की उपलब्धियों के साथ-साथ जनोन्मुख और जन कल्याण कार्यक्रमों को उजागर किया गया।खट्टर ने कहा कि जब 2014 में पहली बार हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने दम पर सरकार बनाई थी, तो कई लोगों ने सरकार चलाने के बारे में उनकी क्षमता पर सवाल उठाये थे। उन्होंने संभवत: यह बात अपने राजनीतिक विरोधियों को निशाने पर लेने के लिए कही।
उन्होंने कहा, ‘‘अब हमने दूसरे कार्यकाल के चार वर्ष पूरे कर लिये हैं।’’ भाजपा 2019 के विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी और सरकार बनाने के लिए जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ गठबंधन किया था।मुख्यमंत्री ने मंत्री कंवर पाल और अपनी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में यहां संवाददाताओं से कहा कि उनकी सरकार ने सुशासन के साथ पांच ‘एस’- ‘शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, स्वाभिमान और स्वावलंबन’ पर काम किया। पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जब उन्होंने 2014 में राज्य की बागडोर संभाली थी, तो हर कोई जानता था कि उस समय के शासन की स्थिति क्या थी।
उन्होंने कहा कि उस समय भेदभाव, भ्रष्टाचार की बातें होती थीं और निराशा का माहौल था। खट्टर ने कहा, ह्लनिराशा के माहौल से ऊब चुके लोगों ने हरियाणा में (नयी) उम्मीद के साथ इस सरकार को चुना था। उन्होंने यह भी कहा कि उस वक्त सवाल उठाए गए थे कि ‘इस व्यक्ति (मुख्यमंत्री) के पास कोई अनुभव नहीं है और बिना अनुभव के वह (खट्टर) कितने दिनों तक सरकार चला पाएंगे।मुख्यमंत्री बनने के बाद 2014 में कांग्रेस को दी गई तीखी प्रतिक्रिया को याद करते हुए खट्टर ने कहा, ‘‘हमारे पास लूट और भ्रष्टाचार में लिप्त होने का वैसा अनुभव नहीं है, लेकिन मेरे पास लोगों की सेवा करने का अनुभव जरूर है।’’ उन्होंने कहा, ह्लभाई-भतीजावाद और क्षेत्रवाद का स्थान समान विकास की प्रतिबद्धता ने ले लिया है। उन्नहत्तर वर्षीय मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की प्रमुख योजना परिवार पहचान पत्र, मेरी फसल मेरा ब्योरा, किसानों को मुआवजा आदि के बारे में बताया और उन्होंने सुशासन के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि पीपीपी (परिवार पहचान पत्र) की तारीफ तो प्रधानमंत्री तक ने की और अन्य राज्यों से भी इसे लागू करने की संभावना तलाशने को कहा। खट्टर ने कहा कि राज्य का लैंगिक अनुपात (प्रति 1,000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या) 2014 में 871 था, जो बढक़र वर्तमान में 932 हो गया है और उन्होंने उम्मीद जताई कि इसमें आगे भी सुधार होगा। कृषि मोर्चे पर, मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने प्राकृतिक आपदा के कारण फसल के नुकसान के लिए मुआवजा राशि 2013 में छह हजार रुपये प्रति एकड़ से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति एकड़ कर दी है।उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में उनकी सरकार ने किसानों को 11 हजार करोड़ रुपये का मुआवजा दिया, जबकि पूर्ववर्ती सरकार ने 10 वर्षों में 1,158 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
स्वास्थ्य क्षेत्र पर, खट्टर ने कहा कि उनकी सरकार में राज्य में मेडिकल कॉलेज की संख्या 2014 में छह के मुकाबले बढक़र 15 हो गई है तथा आठ और मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में एमबीबीएस सीट की संख्या बढक़र 2,185 हो गई है, जो 2014 में 700 थी। हरियाणा में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। खट्टर ने कहा कि राज्य सरकार ने मिशन मेरिट की शुरुआत की है और पारर्दिशता के आधार पर 1.10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां मिली हैं तथा 60,000 और नौकरियां प्रदान करने की योजना है। उन्होंने कहा कि सरकार ने शैक्षिक क्रांति का मार्ग प्रशस्त करते हुए सरकारी स्कूलों के छात्रों को 5.50 लाख टैबलेट वितरित किए हैं।
मुख्यमंत्री ने महिला सशक्तीकरण और पंचायती राज संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि नौ वर्षों के दौरान सरकार ने आíथक विकास, औद्योगिक विकास और अपने निवासियों के समग्र कल्याण पर भी ध्यान केंद्रित किया है।मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य का निर्यात 2014 के 68,032 करोड़ रुपये से बढक़र वित्तीय वर्ष 2022-23 में 2,45,453 करोड़ रुपये हो गया है, जो आíथक समृद्धि में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जहां युवाओं, महिलाओं और किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं, वहीं सैनिकों और अर्धसैनिकों के कल्याण पर भी विशेष ध्यान दिया है।