होंद चिल्लर मामले में तय मुआवजा बढ़ाने की मांग याचिका पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने की खारिज

चंडीगढ़: 1984 के सिख दंगे के दौरान रेवाड़ी जिले के गांव हौद चिल्लर में हुई हिंसा में मारे गए लोगों के आश्रितों के लिए जस्टिस टीपी गर्ग आयोग द्वारा तय किए गए 25 लाख रुपये के मुआवजे को पर्याप्त करार देते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे बढ़ाने की मांग वाली याचिका को खारिज.

चंडीगढ़: 1984 के सिख दंगे के दौरान रेवाड़ी जिले के गांव हौद चिल्लर में हुई हिंसा में मारे गए लोगों के आश्रितों के लिए जस्टिस टीपी गर्ग आयोग द्वारा तय किए गए 25 लाख रुपये के मुआवजे को पर्याप्त करार देते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे बढ़ाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया याचिका दाखिल करते हुए हरभजन सिंह व अन्य ने कहा कि वे पाकिस्तान से बंटवारे के समय भारत आए थे।

वहां पर छोड़ी गई संपत्ति की एवज में भारत में गांव होंद चिल्लर में उन्हें कोठी और जमीन आदि दी गई थी वे सुख से रह रहे थे कि अचानक 1984 में दिल्ली समेत देश के अन्य स्थानों पर दंगे आरंभ हो गए उनके गांव में ट्रकों और बसों में भरकर दंगाई आए और उन्होंने 32 लोगों को जिंदा जला दिया इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं की संपत्तियों को जला दिया गया। कृषि उपकरण फूंक दिए गए इस दौरान उनकी संपत्ति और पैसा भी लुट गया। इस सब के मुआवजे के लिए सरकार ने जस्टिस टीपी गर्ग कमिशन का गठन किया गया था इस कमिशन ने मुआवजे के नाम पर केवल 25 लाख रुपए की राशि मंजूर की जो पूरी तरह से गलत है।

हाईकोर्ट में मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग को लेकर मृतकों के आश्रितों की दर्जनों याचिकाएं विचाराधीन थी। इन सभी में तय मुआवजे को कम बताते हुए इसमें बढ़ोत्तरी का आदेश जारी करने की अपील की गई थी। याचिका में बताया गया था कि सार्वजनिक आक्रोश के चलते राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए मार्च 2011 में टीपी गर्ग आयोग का गठन करते हुए इसकी अधिसूचना जारी की थी। आयोग ने मामले की जांच की और गवाहों के बयान दर्ज किए और इस दौरान सभी तथ्यों का अध्ययन करने के बाद आयोग ने 16 मार्च 2015 को राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सिफारिशों के साथ सौंपी थी।

आयोग ने घटना में मारे गए लोगों के कानूनी उत्तराधिकारी को 25 25 लाख रुपये का मुआवजा देने की सिफारिश की थी। याचिकाकर्ताओं द्वारा यह दलील दी गई कि उपरोक्त आयोग द्वारा अनुशंसित मुआवजा अपर्याप्त है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि मृतकों के आश्रितों द्वारा 25 लाख रुपये पर एक बार सहमत होने के बाद राशि बढ़ाने की मांग करना बिलकुल उचित नहीं है।

 

 

 

- विज्ञापन -

Latest News