चंडीगढ़ : सभी बरसाती नदियों को भी सरस्वती नदी मॉडल के तर्ज पर तैयार किया जाए। अबकी बार हरियाणा में उत्तराखंड व हिमाचल, पंजाब से जिस तरह से बारिश के बाद पानी का जनसैलाब उमड़ा, उसे सहेजने में बहुत बड़ी समस्याएं आई। लेकिन सरस्वती नदी के ऊपर चल रहे कार्य, जिसमें हरियाणा सरकार द्वारा सरस्वती बोर्ड का गठन करके धूमन सिंह किरमच को इसकी जिम्मेवारी दी गई और उनके द्वारा इसके पानी के प्रबंधन के ऊपर कार्य किया गया, उसमें सरस्वती किनारे वेस्ट पड़ी जगह पर बड़े-बड़े जलाशय स्थापित करके बरसात से आई बाढ़ के पानी को कंट्रोल किया गया ताकि वह आगे नुकसान न करें और पानी की जो तीव्रता है, वह तीव्रता कम हो जाए। उत्तरी हरियाणा में घग्गर, टांगरी, मारकंडा, सरस्वती व यमुना पांच मुख्य नदियां बरसाती नदियां हैं, जो बरसात में ऊपर के क्षेत्र का पानी लेकर मैदानी क्षेत्र की ओर बढ़ती हैं।
उनके बीच में बहुत से जलाशयों को भी बढ़ावा देना चाहिए। ऐसे जलाशय स्थापित करने से बाढ़ की समस्या से निदान मिलेगा और इस उत्तरी हरियाणा का डार्क जोन समाप्त होगा। इस कार्य से जितने भी बड़ी-बड़ी नदियों के साथ खाली पंचायती जमीन पड़ी हुई है, उनमें बहुत बड़े-बड़े जलाशय बनाए जाएं ताकि आने वाले भविष्य के लिए पानी को रोका जा सके। ऐसा देखने में आया है कि हमारे पास पानी की कमी नहीं है। पानी के प्रबंधन की कमी है। अगर यह प्रबंधन हो जाएगा तो पानी को सहजना भी आसान हो जाएगा। आज सरस्वती नदी के ऊपर धूमन सिंह किरमच द्वारा किए गए कार्य को लोग सराहते हैं।
जिसमें उन्होंने जगह-जगह छोटे-बड़े जलाशय बनाए। बोहली गांव में पीपली से पहले जो जलाशय बनाया गया, उस अकेले जलाशय में 10 से 12 करोड़ लीटर पानी रिचार्ज किया गया। उसके ऊपर मरचेहडी गांव में बड़े जलाशय में तीन करोड़ लीटर व रामपुर जलाशय में तीन करोड़ लीटर से ज्यादा पानी रिचार्ज किया गया। अब सरस्वती बोर्ड बोडला भगवानपुर ङिावरेहड़ी रामपुर एरिया रामपुर कोमियां व चिल्लौर गांव में बड़े-बड़े जलाशया बनाकर इस क्षेत्र के पानी को रोकने के लिए तैयारी में जुटा है ताकि इस पानी को आगे बहकर न जाने दिया जाए और इसका सदुपयोग किया जा सके।