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दिवाली पर मुरझाए कुम्हारों के चेहरे, कहा पुश्तैनी काम छोड़ नहीं सकते और इस काम में मुनाफा रहा नहीं

  जगाधरी: दिवाली पर बाजारों में रौनक है। घरों में दिवाली मनाने की तैयारी चल रही है। लोग घरों में दिवाली के लिए सामान लेकर आ रहे हैं। लेकिन दिवाली के दिनों में मिट्टी के बर्तनों की डिमांड बढ़ जाती है। हालांकि मिट्टी के बर्तन बाजारों में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन कुम्हारों.

 

जगाधरी: दिवाली पर बाजारों में रौनक है। घरों में दिवाली मनाने की तैयारी चल रही है। लोग घरों में दिवाली के लिए सामान लेकर आ रहे हैं। लेकिन दिवाली के दिनों में मिट्टी के बर्तनों की डिमांड बढ़ जाती है। हालांकि मिट्टी के बर्तन बाजारों में आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन कुम्हारों के चेहरे इस बार भी दिवाली पर खुशियां नहीं है। उसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मिट्टी के बर्तन से उन्हें मुनाफा लगातार घटता जा रहा है।

एक तरफ तो बाजार में मिट्टी के मुकाबले चीनी और स्टील के बर्तन ज्यादा आ गए। जिससे उनके बर्तनों की बिक्री कम होने लगी है। मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगर जोनी प्रजापति का कहना है कि हम अपना पुश्तैनी काम तो नहीं छोड़ सकते लेकिन इस काम में अब मुनाफा नहीं रहा है।

क्योंकि आज के दौर में बाजार में बहुत सी चीज बदल गई है। लोग मिट्टी के बर्तन के उचित दाम भी नहीं देते। ऐसे में हम सरकार से मांग करते हैं कि सरकार कम से कम हमारे पुश्तैनी काम की तरफ ध्यान दें ताकि हम अपना काम भी ना छोड़े और हमें मेहनत का पैसा भी मिल जाए।

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