चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने नूंह में अपने विध्वंस अभियान का बचाव करते हुए कहा है कि कोई भी ढांचा गैरकानूनी तरीके से नहीं ढहाया गया और यह कार्रवाई ‘‘किसी भी तरह के जातीय सफाए का मामला नहीं था।’’ इस जवाब को सरकार पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री को सौंपेगी। राज्य सरकार ने कहा है कि नूंह में मुस्लिमहिन्दू जनसंख्या का अनुपात 80:20 है जबकि विध्वंस कार्रवाई का अनुपात 70:30 था।नूंह में जारी विध्वंस अभियान पर सात अगस्त को न्यायमूíत जी.एस. संधावालिया और न्यायमूíत हरप्रीत कौर जीवन की अदालत ने स्वत: संज्ञन लिया और इस कार्रवाई को रोक दिया।
विध्वंस अभियान का जिक्र करते हुए उच्च न्यायालय ने तब पूछा था कि क्या यह ‘‘जातीय सफाए की कार्रवाई’’ थी।
पिछले सप्ताह सुनवाई के दौरान न्यायमूíत अरुण पल्ली और न्यायमूíत जगमोहन बंसल की खंडपीठ ने मामले को शुक्रवार के लिए स्थगित करने से पहले इसे मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया था। यह मामला शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश रविशंकर झा और न्यायमूíत अरुण पल्ली की खंडपीठ के समक्ष आया।हरियाणा के अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक सभरवाल ने शुक्रवार को सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय परिसर के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘अदालत ने कहा है कि जवाब (अदालत) रजिस्ट्री में दाखिल किया जाना चाहिए, जो हम करेंगे।’’ विश्व हिन्दू परिषद की शोभायात्र पर पथराव के बाद 31 जुलाई को नूंह में सांप्रदायिक झड़प होने के कुछ दिनों बाद विध्वंस अभियान शुरू किया गया था। यह हिंसा पड़ोसी गुरुग्राम तक भी फैल गई थी, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई।
विध्वंस अभियान को लेकर गृह मंत्री अनिल विज ने पहले कहा था, ‘‘इलाज में बुलडोजर भी एक कार्रवाई है।’’ सभरवाल ने शुक्रवार को कहा कि राज्य ने 400 पन्नों का जवाब तैयार किया है और विध्वंस अभियान से पहले अपनाई गई प्रक्रिया का विवरण देने वाले सभी दस्तावेज संलग्न किए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने अपने जवाब में यह भी कहा है कि गुरुग्राम में जो विध्वंस अभियान चलाया गया था (इसमें शामिल संरचनाएं) पूरी तरह से एक समुदाय – हिन्दू समुदाय – की थीं।’’ सभरवाल ने कहा, ‘‘नूंह के मद्देनजर हमने अपने जवाब में कहा है कि 2011 की जनगणना के अनुसार और वर्ष 2023 में प्रभुत्व मुस्लिम समुदाय का है और (जनसंख्या) अनुपात 80:20 है। इसलिए, इसमें हमने चार्ट संलग्न किया है कि इसके बावजूद जो विध्वंस किया गया है उसका (विध्वंस का) अनुपात 70:30 है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, यह बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता कि यह जातीय सफाए का मामला है। यह अदालत द्वारा केवल एक आशंका थी जिसे राज्य ने अपने जवाब में पूरी तरह से प्रर्दिशत किया है कि पूरी प्रक्रिया का पालन किया गया है।’’ एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर नूंह में कुछ ढांचों को ढहाया गया क्योंकि वे पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन थे। सभरवाल ने कहा, ‘‘राज्य के लिए सभी समान हैं और यह किसी भी तरह जातीय सफाए का मामला नहीं है। राज्य इस बारे में बहुत स्पष्ट है। हम शनिवार को रजिस्ट्री के समक्ष जवाब दाखिल करेंगे।’’