लवी मेले में विभिन्न संस्थाओं द्वारा पारंपरिक अनाज और उनसे बनाए गए खाद्य पदार्थ की लगाई गई प्रदर्शनी

रामपुर बुशहर (मीनाक्षी) : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से 130 किलोमीटर दूर रामपुर बुशहर के अंतर्राष्ट्रीय लवी मेला मैदान में पारंपरिक एवं विलुप्तप्राय अनाज और उससे बने पकवानों की खूब मांग बढ़ी है। विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं एवं सरकारी एजेंसियों के माध्यम से इन्हें प्रोत्साहित एवं प्रचारित किया जा रहा है। जापान वित्त पोषित जायका.

रामपुर बुशहर (मीनाक्षी) : हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से 130 किलोमीटर दूर रामपुर बुशहर के अंतर्राष्ट्रीय लवी मेला मैदान में पारंपरिक एवं विलुप्तप्राय अनाज और उससे बने पकवानों की खूब मांग बढ़ी है। विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं एवं सरकारी एजेंसियों के माध्यम से इन्हें प्रोत्साहित एवं प्रचारित किया जा रहा है। जापान वित्त पोषित जायका परियोजना के माध्यम से भी किन्नौर, रामपुर और आनी की ग्रामीण सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को लवी मेला में प्रदर्शनी एवं उत्पादों की बिक्री के लिए लाया गया है। ताकि आम जन मानस में पारंपरिक अनाजों से बने खाद्यानों की अहमियत का पता चल सके। इसी तरह चाहे वह कृषि विभाग हो या फिर रामपुर महाविद्यालय की इकाई सभी ने मेला मैदान में स्टाल लगाकर ऐसे पारंपरिक अनाज एवं जैविक उत्पादों के महत्व को बारीकी से समझाने का प्रयास किया है। ताकि आम लोगो तक इन के महत्व को दर्शाते हुए प्रेरित किया जा सके।

मेला मैदान में हो रहे इस तरह के प्रयासों की पदम श्री नेकराम शर्मा ने भी खुशी जताई है और बताया कि वे पिछले तीन दशकों से इस दिशा में काम कर रहे थे। लेकिन अब जो प्रयास हो रहे हैं वह सकारात्मक है भविष्य में इन्हें और प्रोत्साहित दिया जाना चाहिए। नेकराम शर्मा ने बताया कि यहां लवी मेले में विभिन्न विभागों के माध्यम से प्रदर्शनियां लगाई है। जिन में परंपरागत अनाजों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह सराहनीय प्रयास है लेकिन इन्हें और प्रोत्साहित करने की जरूरत है। हमे अब प्रोडक्शन पर जाना पड़ेगा।

किन्नौर तरंडा गांव की चित्रलेखा जगत जननी स्वयं सहायता समूह की पवन रेखा ने बताया कि उन्हें जायका प्रोजेक्ट के माध्यम से इंटरनेशनल लवी मेले में आने का मौका दिया। हमारे जो पारंपरिक अनाज एवं उनसे बने पकवान थे। उन्हें दर्शाने का भी स्टाल लगा कर मौका दिया। उन्होंने बताया कि पारंपरिक अनाजों को लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है और वह लोगों को यहां पर पारंपरिक अनाज एवं उनसे बने पकवानो से रूबरू करवा रहे। यह बता रहे हैं कि हमारे जो जैविक एवं प्राकृतिक खेती से तयार किए गए उत्पादों में कितनी पौष्टिकता एवं औषधीय गुण है।

स्वयं सहायता समूह की अमृता कुमारी ने बताया कि वे जौ का आटा, सत्तू ,राजमा की दाल लोकल अखरोट और घी लेकर आए है। लोगों को इनकी उपयोगिता बताई जा रही है। जायका परियोजना के अधिकारी सीएम शर्मा ने बताया कि जायका परियोजना के तहत किन्नौर, रामपुर व आसपास के क्षेत्र में महिलाओं की स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं। उन्हें जैविक उत्पाद तैयार करने के लिए प्रेरित किया गया है। इन उत्पादों को संरक्षित करने के साथ-साथ लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास किए गए हैं , ताकि विलुप्त होने वाली प्रजातियों को बचाया जा सके।

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