शिमला: हिमाचल प्रदेश में करोड़ों रुपये के क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने फर्जी निवेश योजनाओं में भारी मुनाफे का लालच देकर लोगों को ठगने के मामले में लिप्त सात और लोगों को गिरफ्तार किया है।पुलिस मुख्यालय ने यहां एक बयान जारी बताया कि सभी आरोपियों ने धोखाधड़ी में अलग-अलग भूमिकाएं निभाईं, जिसमें बैक-एंड ऑफिस गतिविधियां और डेटाबेस के प्रबंधन से लेकर लोगों से बातचीत करना, तकनीकी सहायता प्रदान करना, वित्तीय लेनदेन का प्रबंधन करना और धन के प्रवाह को संभालना शामिल है। बयान के मुताबिक, आरोपियों को दस दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।
बयान में बताया गया कि जांच अब सबूत जुटाने और घोटाले में शामिल सभी लोगों को न्याय के दायरे में लाने के लिए वित्तीय सुराग का पता लगाने पर केंद्रित है। पुलिस ने अब तक गिरफ्तार किए गए सात लोगों के नाम और विवरण साझा नहीं किया है।पुलिस के मुताबिक, घोटाले की शुरुआत 2018 में हुई थी। उस वक्त धोखेबाजों ने लोगों को स्थानीय (मंडी जिले में) रूप से निíमत क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की योजना बताकर ठगना शुरू किया था। ये स्थानीय क्रिप्टोकरेंसी कोरवियो कॉइन या केआरओ कॉइ के रूप में जाना जाती हैं।
एसआईटी जांच में यह खुलासा हुआ है कि क्रिप्टोकरेंसी धोखाधड़ी मामले में जालसाजों ने कम से कम एक लाख लोगों को ठगा है और ढाई लाख आईडी मिली हैं, जिनमें एक ही व्यक्ति की कई आईडी शामिल हैं।पूर्व में दो मुख्य आरोपियों सुखदेव और हेमराज को गुजरात में पकड़ा गया था और जांच के दौरान दोनों ने कबूल था कि उन पर 400 करोड़ रुपये की देनदारी बकाया है। घोटाले का कथित सरगना सुभाष अभी भी फरार है।