नशे की आदी महिलाओं के लिए भुंतर में स्थापित एकीकृत पुर्नवास केंद

कुल्लू : मादक पदार्थों का विकार समाज में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। मादक पदार्थों पर निर्भरता न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि उनके परिवार को भी पूरी तरह से निराशा एवं परेशान करती है। युवा पीढी में मादक द्रव्यों का प्रचलन एक चिंता का विषय बन चुका है। एम्स.

कुल्लू : मादक पदार्थों का विकार समाज में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। मादक पदार्थों पर निर्भरता न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि उनके परिवार को भी पूरी तरह से निराशा एवं परेशान करती है। युवा पीढी में मादक द्रव्यों का प्रचलन एक चिंता का विषय बन चुका है। एम्स नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2019 के राष्ट्रीय सर्वेक्षण से खुलासा हुआ है कि भारत में मादक द्रव्यों के सेवन में शराब का सबसे आम उपयोग किया जा रहा है जिसके बाद भांग तथा अफिम का उपयोग सर्वाधिक है। लगभग 16 करोड़ लोग शराब का सेवन करते है तथा 3.1 करोड़ लोग भांग के उत्पादों का सेवन करते है।

हमारे देष में 2.26 करोड़ लोग ओपिओइड का इस्तेमाल करते हैं इसके अलावा नींद/दर्द की दवाइयों तथा सूघ्ंने वाले पदार्थों का उपयोग करने वालें की संख्या काफी है। प्रदेश में जिला कुल्लू, शिमला, मंडी तथा चंबा में विशेषकर युवाओं में नशे का प्रचलन बढता जा रहा है इनसे महिलाएं भी अछूती नही रहीं हैं। हिमाचल प्रदेश में महिलाओं में मादक द्रव्यों कि लत की उभरती प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए भारतीय रैड क्र ॅास सोसायटी, जिला शाखा कुल्लू द्वारा भुन्तर में महिलाओं के लिए 15 बिस्तरों का एकीकृत नशा निवारण एवं पुर्नवास केन्द्र कि शुरुआत की है। उपायुक्त एवं रैडक्र ास जिला शाखा के अध्यक्ष श्री आशुतोष गर्ग ने इस केंद्र के बारे जानकारी देते हुए कहा कि महिला एकीकृत पुर्नवास केन्द्र भुन्तर में स्थापित प्रदेश का ऐसा एकामात्र केन्द्र है जो महिलाओं नशा मुक्ति तथा पुर्नवास के उपचार हेतू मुफ्त सेवाएं प्रदान कर रहा है।

राज्यपाल भी कर चुके हैं दौरा

कुछ माह पूर्व हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने भी भुंतर स्थित महिलाओं के लिए बने इस एकीकृत नशानिवारण एवं पुनर्वास केंद्र का दौरा किया किया था तथा वहां कार्यान्वित की जा रही सुविधाओं की जानकारी ली।

पुरुष व्यसनियों के लिए है अलग आवासीय भवन की व्यवस्था

यहां पर पुरु ष व्यसनी मरीज़ों के लिए भी अलग आवासीय भवन की व्यवस्था है। नशे के व्यसन को छोडकर बेहतर एवं सामान्य जीवन जिया जा सकता है जिसके लिए व्यसनी में इच्छा शिक्त के साथ साथ परिवार का सहयोग बहुत आवश्यक है। इस केन्द्र के स्टाफ द्वारा इसके लिये किये गए प्रयासों से कई मरीज़ नशे के दुष्चक्र से निकलकर सामान्य एवं खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। केन्द्र से सम्बंधित अधिक जानकारी/ सलाह के लिए हेल्पलाइन नं0 01902-265265 से सम्पर्क कर सकते हैं।

क्या कहते हैं यहां से स्वस्थ होकर पुनर्वासित युवा

नाम न छापने की शर्त पर यहां के उपचार से स्वस्थ हुए युवक युवतियों ने अपने अनुभव सांझा करते हुए बताया कि कई बार भूलवश या गलत संगत में पडकर हम नशे की गिरफ्त में आ जाते हैं। ऐसे में सामान्य जीवन जीने की सारी आशाएं धूमिल हो जाती हैं, परन्तु सही समय पर परजिनों की सूझबूझ एवं सही उपचार से हम नशे से मुक्त हो सकते हैं।

प्रशिक्षित मैडीकल एवं पैरामैडीकल स्टाफदे रहा सेवाएं

इस महिला एकीकृत पुर्नवास केन्द्र में नशा मुक्ति के ईलाज हेतू 15 बिस्तरों का प्रावधान करते हुए डाक्टर, मनोचिकित्सक, काउंसलर, नर्स, वार्ड अटेन्डेन्ट,परियोजना समन्वक, सुरक्षा कर्मी, सफाई कर्मी इत्यादि की तैनाती की गई है। भवन में स्नानागार/ शौचालय, निर्संग स्टेशन, मनोरंजन गतिविधियों तथा सामूहिक परामर्श के लिए एक कॉमनरूम तथा सुरक्षा की दृष्टि से भवन में सी.सी. टी.वी. कैमरे तथा चारों ओर फैन्सींग की व्यवस्था की गई है। केन्द्र में कार्यरत परामर्शदाता आयुषी ठाकुर इस बताया कि मरीज़ों को केंद्र में भर्ती करने के पश्चात उनकी एकाग्रता के लिए चित्रकारी, पेंटिंग, मूर्तिकला जैसी सृजनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखा जाता है। साथ ही कैरम, बैडमिंटन जैसे खेल के माध्यम से मनोरंजन कर मनोवैज्ञानिक स्तर पर मज़बूत करने का कार्य भी किया जाता है।

महिलाओं के ईलाज को गोपनीय रखा जाता है

केंद्र में महिलाओं के ईलाज को गोपनीय रखा जाता है तथा किसी भी व्यक्ति को उपचाराधीन महिलाओं की जानकारी नहीं दी जाती है। नशा मुक्ति तथा पुनर्वास उपरान्त केन्द्र के कर्मचारी ऐसी महिलाओं के परिवारों के निरन्तर सम्पर्क में रहते हैं ताकि नशे मे दोबारा पडने की स्थिती में उन्हें पुन: ईलाज में लाया जा सके। पिछले मई माह से जनवरी तक केन्द्र द्वारा 123 महिलाओं को ओपीडी ईलाज की सुविधा प्रदान की जा चुकी है। 23 आवासीय मरीज़ों की चिकित्सा के साथ की इस केन्द्र में चिकित्सा एवं परामर्श से 68 स्वस्थ हुए मरीजाें का फॉलोअप भी किया गया है।

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