हमीरपुर (कपिल): प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट के ऊपर वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने शनिवार को प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शुक्रवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा प्रस्तुत किए गए अपने पहले बजट से बहुत से लोगों को बहुत सी अपेक्षाएं थी। कुछ की अपेक्षाएं पूरी हुई और कुछ की अपेक्षाएं पूरी नहीं हुई। स्वभाविक है जब संसाधन कम हो तो किस को क्या दिया जा सकता है यह प्रश्न उठता ही है।
बजट में हिमाचल प्रदेश को जो ग्रीन स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा गया है वह सराहनीय है। इसके लिए गंभीरता से प्रयास होने चाहिए, क्योंकि पर्यावरण को शुद्ध रखना बहुत आवश्यक है। पहले भी प्रदेश में प्लास्टिक और पॉलिथीन बैन किया गया है जिसके परिणाम बहुत सकारात्मक रहे थे। और विश्व बैंक ने भी ग्रीन डवलपमेंट के लिए हजारों करोड़ रुपए की मदद प्रदेश को दी थी। पूर्व सीएम ने कहा कि आज फिर से प्रदेश में पॉलिथीन और प्लास्टिक का कचरा बिखरा दिखता है मुख्यमंत्री इस की ओर जरूर ध्यान देंगे ऐसा मेरा मानना है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बजटीय आंकड़ों को चिंता पैदा करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि अन्य देनदारियों बहुत हैं जैसे कि वेतन की पेंशन की और ब्याज इत्यादि की इन सब के बाद विकास के लिए बहुत कम पैसा बचता है। कैपिटल इन्वेस्टमेंट के लिए कम पैसा बच रहा है। ऊपर से दस हजार करोड़ के बराबर कर्मचारियों के एरियर बताए गए हैं उन्हें कैसे अदा किया जाएगा और साथ में ही नौ हज़ार नौ सौ करोड रुपए का वित्तीय घाटा भी है जो बजट का लगभग 4.61% बनता है। धूमल ने कहा कि इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के विकास को गति देने के लिए केंद्र की योजनाओं का लाभ उठाना आवश्यक है, लेकिन खुले मन से यह मानना होगा कि यह योजना केंद्र सरकार की है। जैसे की हर मेडिकल कॉलेज के साथ नर्सिंग कॉलेज बनाने की योजना केंद्र सरकार ने अपने बजट में रखी है और अनेकों योजनाएं हैं जिनको मुख्यमंत्री ने अपने बजट में शामिल किया है लेकिन उनका नाम बदल दिया है। इससे कोई लाभ नहीं होता और नेताओं के नाम बदल बदल के करना उचित भी नहीं लगता।
जब तक संसाधन नहीं जुटाए जाएंगे तब तक वादे पूरे करना मुश्किल
पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा करते हुए कहा कि मुझे विश्वास है जब तक संसाधन नहीं जुटाए जाएंगे तब तक वादे पूरे करना मुश्किल है। एक शायर ने कहा था दिखा रहा है ख्वाब महलों के, एक खिलौना खरीदने के लिए जेब में पैसे नहीं है।जब जेब में एक खिलौना खरीदने के लिए भी पैसे ना हो तब महलों के सपने दिखाना ऐसी घोषणाएं करना उसका कोई लाभ नहीं होता। कुल मिलाकर बजट में ऐसा प्रयास किया गया है कि सब को राहत पहुंचाई जाए लेकिन प्रदेश की बत्तीस लाख महिलाओं के साथ जो वायदा किया गया था कि उनको हर महीने 15 सो रुपए देंगे, वो अब केवल दो लाख इकत्तीस हज़ार महिलाओं तक सिमट गया है इससे राहत नहीं होगी और चयन कैसे होगा उसमें भी भेदभाव होगा तो ऐसी बातें करने से पहले सोचना चाहिए और जब वायदा किया हो तो उसे निभाना चाहिए।