Rampur के शनेरी गांव में चार ठेरी द्वारा मनाई परशुराम जयंती, क्षेत्र के स्थानीय देवता भी रहे मौजूद

रामपुर बुशहर (मीनाक्षी) : देशभर में अक्षय तृतीया के साथ ही परशुराम जयंती मनाई गई। इसी अवसर पर रामपुर बुशहर के शनेरी गांव में परशुराम जयंती चार ठेरी के ब्राह्मण समाज के लोगों ने बढे़ ही हर्षोंउल्लास के साथ मनाई। सबसे पहले स्थानीय देवताओं का आगमन हुआ। इस दौरान चार इष्ट देवता शनेरी गांव में.

रामपुर बुशहर (मीनाक्षी) : देशभर में अक्षय तृतीया के साथ ही परशुराम जयंती मनाई गई। इसी अवसर पर रामपुर बुशहर के शनेरी गांव में परशुराम जयंती चार ठेरी के ब्राह्मण समाज के लोगों ने बढे़ ही हर्षोंउल्लास के साथ मनाई। सबसे पहले स्थानीय देवताओं का आगमन हुआ। इस दौरान चार इष्ट देवता शनेरी गांव में पहुंचे, जहाँ पर चार ठेरी के लोगों ने उनका स्वागत किया। उसी के उपरांत देवताओं की पूजा-अर्चना की गई और भगवान परशुराम को लेकर विशेष पूजा का आयोजन किया।

इस दौरान महा पडितों द्वारा यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें हजारों की तादाद में क्षेत्र के लोगों ने भाग लिया। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह कार्यक्रम शनेरी गांव में चार ठेरी द्वारा पहली बार शुरू किया गया है और आने वाले समय में अब हर साल परशुराम जयंती को मनाया जाएगा। इस दौरान चार ठहरी पांच स्थानों में भगवान परशुराम के पुरूषार्थ को याद करते हुए उन्हें प्रणाम किया गया और इनके आदर्शो पर चलने का आवाहन किया गया।

इस दौरान जन्मदिवस को हर्षोल्लास से मनाने और मार्गदर्शन को अपनाते हुए इनके पदचिन्हों पर चलने का आवाहन किया है। परशुराम क्रान्तिकारी थे, आसुरी शक्तियों के खिलाफ थे। इस लिए आज मानव को उनसे प्रेरणा लेकर नई पीढ़ी को सुसंस्कारित करने, पापकर्म वाले लोगों का साथ न देने, व उन्हें संविधान के अनुसार सजा दिलवाने में सहयोग करने का आवाहन किया है। वहीं बता दें की भगवान परशुराम को लेकर ऐसी मान्यता प्रचलित है कि उनका जन्म ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के घर ब्राह्मणों व ऋषियों पर होने वाले अत्याचारों को खत्म करने के लिए हुआ था।

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