बरसात में बह गए पुल और रास्ते को ठीक करने के लिए लोगो ने डीसी से की मांग

कुल्लू (सृष्टि शर्मा); जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में बीते दिनों में बारिश व बाढ़ के चलते जहां कहीं सड़क मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए। तो वही गाड़ा पारली पंचायत के अधिकतर गांवों का संपर्क कट गया है। बाढ़ के कारण पैदल रास्ते भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं। जिसके चलते ग्रामीणों का अब अपने.

कुल्लू (सृष्टि शर्मा); जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में बीते दिनों में बारिश व बाढ़ के चलते जहां कहीं सड़क मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए। तो वही गाड़ा पारली पंचायत के अधिकतर गांवों का संपर्क कट गया है। बाढ़ के कारण पैदल रास्ते भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए हैं। जिसके चलते ग्रामीणों का अब अपने गांव से निकलना ही मुश्किल हो गया है गाड़ा पारली पंचायत के अगर बात करें तो यहां पर शाक्टी, मरोड़ और शूगाड़ गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है। ऐसे में 2 दिन पैदल चलकर ग्रामीणों का एक दल ढालपुर पहुंचा और उन्होंने जिला प्रशासन को अपनी समस्या से अवगत करवाया। ग्रामीणों ने आशुतोष को अवगत करवाया की पहले ही सड़क मार्ग से शाक्टी, मरोड़ पहुंचने के लिए 25 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। लेकिन अब वह पूरा रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया है। जिसके चलते अब उन्हें 25 की बजाय 75 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है और इस सफर को पूरा करने के लिए उन्हें 2 दिन लग रहे हैं। वही अभी स्कूल में छुट्टियां हैं लेकिन स्कूल खुलने के बाद बच्चे किस तरह से अपने स्कूल जाएंगे। यह भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है।

गाड़ा पारली पंचायत के पूर्व प्रधान भागचंद का कहना है कि पैदल रास्तों के साथ-साथ नालों पर जो पुल बने हुए थे वह सब बह गए हैं। वही इस बारे जिला प्रशासन से भी आग्रह किया गया है कि वे यहां पर जल्द से जल्द अस्थाई पुलों की व्यवस्था करें और पैदल रास्ते का भी निर्माण करें। ताकि शाकटी, मरोड़ और शुगाड के लोगों को आवागमन में सुविधा मिल सके।

ढालपुर पहुंची गाड़ा पारली पंचायत की प्रधान यमुना देवी ने बताया कि तीनों गांव तक पहुंचने के लिए कोई भी रास्ता नहीं बचा है। पहाड़ी के खतरनाक रास्तों को पार कर ग्रामीण अपने राशन व अन्य सामान को लेने के लिए सैंज पहुंच रहे हैं। ऐसे में डीसी कुल्लू के द्वारा आश्वासन दिया गया है कि नालों पर झूला पुल की व्यवस्था की जाएगी। लेकिन पैदल रास्ते बनाने में भी अभी काफी समय लगेगा। उन्होंने जिला प्रशासन से आग्रह किया कि यहां पर घोड़ों के माध्यम से राशन भेजने की व्यवस्था की जाए। ताकि ग्रामीणों को बरसात के इस मौसम में दिक्कतों का सामना ना करना पड़े।

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