Russia-Ukraine War : रूस-यूक्रेन युद्ध से कांगड़ा चाय पर गहराया संकट

धर्मशाला की मान टी फैक्टरी में जहां पिछले 13 सालों में उत्पादन में 50 हजार किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है तो वहीं युद्ध के कारण इस चाय इकाई पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं।

धर्मशाला : रूस- यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के कारण यूरोप में चाय की मांग में 40 फीसदी कमी आ गई है। मांग घटने के कारण कीमतों में भी काफी कमी आई है। अपनी उम्दा क्वालिटी के लिए चाय के वैश्विक बाजार में धाक जमाने वाली कांगड़ा की चाय का उद्योग युद्ध के कारण डांवाडोल होने लगा है। धर्मशाला की मान टी फैक्टरी में जहां पिछले 13 सालों में उत्पादन में 50 हजार किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है तो वहीं युद्ध के कारण इस चाय इकाई पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। ऐसे में कामगारों पर भी रोजगार का संकट खड़ा हो गया है।

अगर युद्ध जारी रहता है तो इसका चाय उद्योग पर बुरा असर पड़ना तय माना जा रहा है। चाय उत्पादन, विपणन तथा एक्सपोर्ट क्षेत्न के माहिर अमनपाल सिंह के अनुसार चाय की कोलकाता में होने वाली नीलामी के दौरान करीब हर खेप से 4 किलो 300 ग्राम सैंपल खरीदारों को वितरित किया जाता है। इसके कारण एक बार नीलामी न होने के बाद चाय के हर लॉट में से 4 किलो 300 ग्राम चाय पत्ती का नुकसान कंपनियों को ङोलना पड़ रहा है। कीमतों में भी कमी आई है, जिसका कारण मांग का काम होना है।

मांग के कम होने के पीछे रूस तथा यूक्रेन के बीच जारी युद्ध मुख्य कारण है तथा अगर युद्ध यूं ही जारी रहता है तो इससे चाय इंडस्ट्री को काफी नुकसान होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। अमनपाल सिंह के अनुसार चाय के उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हुई है तथा इसकी अंर्तराष्ट्रीय बाजार में डिमांड भी है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चाय उद्योग पर संकट आया है। उन्होंने बताया कि कांगड़ा चाय के बड़े बाजार माने जाने वाले यूरोप तथा ईरान में चाय की डिमांड कम होने के साथ कीमतों में कमी आई है, जिसका नुक्सान चाय उद्योग को झेलना पड़ रहा है।

पूरी तरह हाथ से तैयार होती है ओलोंग ब्लैक टी

हिमाचल में 4000 से 6500 फुट की ऊंचाई पर तैयार होने वाली ओलोंग चाय यूरोप के लोगों की खास पसंद है। हैंड रोल्ड ओलोंग चाय यहां की ऐसी चाय है, जो पूरी तरह से हाथों से प्रोसेस होती है।

इस चाय में दूसरी चाय की किस्मों की तुलना में सबसे ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते है। मोटापे को कम करने की खूबी वाली ग्रीन टी यहां की दूसरी खास चाय है। इसमें आमतौर पर दूध का प्रयोग नहीं किया जाता।

ब्लैक टी का स्वाद जहां काफी बढ़िया है तो वहीं दिल की बीमारियों, ब्लड प्रेशर, हड्डियों तथा दांतों के लिए इसको काफी कारगर माना जाता है।

करीब 142 साल पहले शुरू की गई इस टी कंपनी में चाय के करीब 52 व्लैंड तैयार किए जाते हैं। इनमें केसर ग्रीन टी, मसाला टी, कश्मीरी कहवा तथा रोज टी मुख्य हैं।

साल भर यहां देसी-विदेशी सैलानी पहुंचते हैं। पिछले साल जी-20 देशों के सम्मेलन के दौरान यहां पहुंचे विदेशी मेहमानों ने चाय बागानों के साथ यहां की चाय का भी मजा लिया।

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