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सोलन पुलिस ने सुलझाया डिजिटल अरेस्ट व 18.65 लाख की ठगी का मामला, तीन गिरफ्तार

पुलिस आरोपियों से ऐसे तमाम साइबर ठग गिरोहों का पता लगाने के प्रयासों में जुट गई है, जो लोगों को झूठा डर दिखा कर करोड़ों रुपए का चूना लगा चुके हैं।

सोलन (सतीश शर्मा ) : परवाणू थाना के अंतर्गत बीते माह एक व्यक्ति को झूठे केस में फंसाने का डर दिखाकर 12 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट रखने और 18.65 लाख रुपए ठगने के मामले में सोलन पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने राजस्थान निवासी तीन युवकों को गिरफ्तार कर लिया है और अदालत ने उन्हें 4 दिनों के पुलिस रिमांड पर भी भेज दिया है।

पुलिस आरोपियों से ऐसे तमाम साइबर ठग गिरोहों का पता लगाने के प्रयासों में जुट गई है, जो लोगों को झूठा डर दिखा कर करोड़ों रुपए का चूना लगा चुके हैं। बता दें कि 8 नवंबर 2024 को परवाणू में रह रहे मुंबई निवासी ने शिकायत दर्ज करवाई कि उसे अजीत राव नामक व्यक्ति का फोन आया कि वह कूरियर सर्विस से बोल रहा है।

उस व्यक्ति ने बताया कि उसके आधार कार्ड का उपयोग चीन को पार्सल भेजने के लिए किया गया है और उस पार्सल में अवैध ड्रग्स व संदिग्ध सामान शामिल है। वह पार्सल अब कस्टम विभाग की कस्टडी में है। उस व्यक्ति ने उसे सुझाव दिया कि इस मामले की वह ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवा दे और उसी ने विनय कुमार नामक फर्जी सीबीआई अधिकारी को कॉल ट्रांसफर दी।

उसके बाद फर्जी सीबीआई अधिकारी ने उसे धमकाया कि उसके आधार नंबर की जांच में वह अन्य एजेंसियों को भी शामिल करेंगे, क्योंकि 538 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग के मुख्य संदिग्ध किसी नरेश गोयल ने इस आधार नंबर का इस्तेमाल करके फर्जी अकाउंट बनाया है, जिसमें 20-22 लाख रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग की गई है।

मामले को बंद करने के लिए साइबर ठगों ने उससे रुपए भेजने के लिए कहा और उसने कई किस्तों में 18 लाख 65 हजार रुपए उन्हें ट्रांसफर किए, जिसकी उन्होंने रसीदें भी दी। इस पूरे प्रकरण के दौरान ये लोग उसे लगातार धमकियां दे रहे थे और उसे 7 अक्तूबर से 19 अक्तूबर 2024 की सुबह तक डिजिटल अरेस्ट भी रखा।

आरोपी दिन-रात लगातार उसके साथ व्हाट्सएप वीडियो कॉलिंग पर थे। 10 अक्तूबर को इन लोगों ने उसे अपने कार्यालय जाने की अनुमति दी और अपनी प्रत्येक गतिविधियों की जानकारी देने को कहा। 14 अक्तूबर को उसे बताया गया कि अब वे कोर्ट केस के लिए दिल्ली में ईडी कार्यालय जाएंगे। क्योंकि यह भारत सरकार का हाई प्रोफाइल मामला है।

16 अक्तूबर को उन लोगों ने उसे फोन करके बताया कि केस खत्म हो गया है और वह केस जीत गए हैं। जब उन्होंने केस का विवरण मांगा तो उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत राशि देने के बाद वे इनके सारे पैसे वापस कर देंगे। उसके बाद ठगों ने फोन उठाने बंद कर दिए। जब उस व्यक्ति को लुटने का अहसास हुआ तो वह पुलिस की शरण में पहुंचा।

पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच आरंभ की और टेक्निकल सैल व साइबर सैल की सहायता से तीन आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त कर ली। एसपी सोलन गौरव सिंह ने बताया कि इस साइबर ठगी के मामले में पुलिस ने राजस्थान के तीन युवकों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें अदालत में पेश करने के बाद 4 दिन का पुलिस रिमांड हासिल किया गया है।

उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में विनय पालीवाल निवासी गांव सकरोड़ा मावली तहसील मावली जिला उदयपुर राजस्थान उम्र 26 वर्ष, राहुल टेलर निवासी समीप रेलवे स्टेशन बी-केबिन काठापाली तहसील मावली जिला उदयपुर राजस्थान उम्र 26 वर्ष और लोकेश खटीक निवासी समीप जैन मंदिर मावली तहसील मावली जिला उदयपुर राजस्थान उम्र 33 वर्ष शामिल हैं।

एसपी ने बताया कि अभी तक की जांच के दौरान पाया गया है कि ठगी का यह नेटवर्क राजस्थान व गुजरात राज्यों में काफी समय से सक्रिय था, जो हिमाचल व देश के अन्य राज्यों के लोगों को अपने जाल में फंसा कर ठगी का शिकार बनाते हैं। गिरफ्तार किए गए उपरोक्त आरोपी इस गैंग के प्रमुख सदस्य हैं और यह लोगों से ठगी की राशि अपने और बेनामी बैंक खातों में डलवाते थे।

इन आरोपियों के बैंक खातों के विेषण पर पाया गया है कि इनके खातों में ठगी के करीब 40 लाख रुपए ट्रांसफर हुए हैं, जो यह पैसे निकाल कर इस्तेमाल कर लेते थे। इसके अलावा इन आरोपियों की तकनीक डिटेल व बैंक खातों की जांच के दौरान पाया गया है कि इस नेटवर्क के सरगना ने इन आरोपियों के बैंक खातों में क्रिप्टोक्रंसी, बिटकॉइंस, डॉलर आदि को एक्सचेंज करवाकर करीब तीन करोड़ रुपए इन आरोपियों के बैंक खातों में ट्रांसफर करवाए थे जो इन आरोपियों ने सरगना तक पहुंचाए हैं। एसपी ने बताया कि साइबर ठगों के इस पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है।

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