संतों के समक्ष शीश नवाने से आत्मा ही हो जाती है शुद्ध : हेमानन्द जी महाराज

ऊना (राजीव भनोट) : उत्तर भारत के प्रसिद्ध श्री राधा कृष्ण मंदिर कोटला कलां में चल रहे 13 दिवसीय वार्षिक विराट धार्मिक सम्मेलन के दसवें दिन भारत वर्ष में श्रद्धा के केंद्र डेरा बाबा रूद्र नंद के स्वामी 1008 सुग्रीवा नंद महाराज जी के परम् शिष्य महाराज हेमानन्द जी के आश्रम कोटला कला में पहुचने.

ऊना (राजीव भनोट) : उत्तर भारत के प्रसिद्ध श्री राधा कृष्ण मंदिर कोटला कलां में चल रहे 13 दिवसीय वार्षिक विराट धार्मिक सम्मेलन के दसवें दिन भारत वर्ष में श्रद्धा के केंद्र डेरा बाबा रूद्र नंद के स्वामी 1008 सुग्रीवा नंद महाराज जी के परम् शिष्य महाराज हेमानन्द जी के आश्रम कोटला कला में पहुचने पर फूलो की वर्षा कर उनका स्वागत किया गया। ततपश्चात महाराज हेमानन्द जी ने श्री राधा कृष्ण के दर्शन किये व आशीर्वाद लिया।इसके बाद महाराज जी ने मंच से श्रद्धालुओं को संतो के जीवन से रुबरु करवाते हुए कहा कि सन्तो के चरणों मे ही तीर्थ है। हम भले जीवन मे जितने भी संगम व तीर्थो में स्नान क्यों न कर ले किंतु जो सुख सन्तो की शरण मे है, वह कही भी नही।हम तीर्थो में तो केवल शरीर को साफ कर्तव्य है लेकिन जो सन्तो के समक्ष शीश नवाते है उनकी आत्मा ही शुद्ध हो जाती है।

उन्होंने कहा कि हम खुद को भाग्यशाली समझे क्योंकि सन्तो के समाज मे आ कर सब मेल धूल जाती है। संतो जा पास धैर्य है ,शांति है वह हमें सिखाती है कि कैसे हम शांत मन से भगवान का धेयान कर सकते है। महाराज हेमानन्द जी ने बताया कि सन्त उस पुष्प के समान है जो फूल पौधे पर रहने पर तो सुगन्ध देता ही है लेकिन वहीं फूल पौधे से तोड़े जाने के बाद भी सुगन्ध देते है। सन्त भी ठीक उसी प्रकार सभी को सानिध्य देते है।इसलिए जो संग चलता है उस पर भी कृपा करते है, जो ना चले उस पर भी कृपा करते है। उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज आप सबके मार्ग दर्शन के लिए प्रतिवर्ष महासम्मेलन का आयोजन करते है व आप सबका सौभाग्य है जो आपके कल्याण के लिए यह सब आयोजित किया जा रहा है।महाराज हेमानन्द जी ने सनातन धर्म को परम् धर्म बताते हुए कहा कि सनातन धर्म संतो के कारण ही परम् है।तब तक सन्त है तब तक सनातन को आंच नही आ सकती।

बाबा बाल जी ने नतमस्तक हो लिया आशीर्वाद

राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज ने श्री राधा कृष्ण मंदिर में धार्मिक विराट सम्मेलन में पहुंचे महाराज हेमानन्द जी का अभिनंदन किया, सम्मानित किया और चरण स्पर्श कर नतमस्तक होकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं महाराज हेमानन्द जी ने राष्ट्रीय संत बाबा बाल जी महाराज की सराहना की, उन्हें पुष्प मालाएं पहनाकर के सम्मान दिया। दोनों संतो के स्नेह को देखकर श्रद्धालुओं की आंखें नम भी हुई।

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