ऊना(आभा कौंडल) : ऊना में धुंध व शीतलहर से लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। बीते तीन माह से बारिश ना होने के कारण मौसम पूरी तरह से शुष्क है, जिससे ठंठ के साथ-साथ धुंध भी पड़नी शुरू हो गई है। धुंध के प्रकोप से विजिबिलटी कम होने से वाहनों की रफ्तार थम गई है, वहीं जिला में ठंड से ठिठुरन भी बढ़ गई है। बीते तीन-चार दिनों से धुंध का अधिक कहर बरसने लगा है।
जहां सुबह-शाम के समय में धुंध के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। ऐसे में वाहन चालकों को सुबह के उजाले में भी लाइटें जलाकर चलना पड़ रहा है। जिला का अधिकतम तापमान 21 डिग्री दर्ज किया गया। जहां ठंड से राहत पाने के लिए ज्यादातर लोग धूप में खड़े देखे गए। वहीं धूप भी हल्की ही देखने को मिली। बात करें किसानों की तो क्षेत्र में बारिश न होने से किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है।
पिछले महीने किसानों ने गेहूं की बिजाई की थी, लेकिन मौसम की अनिश्चितता ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। किसान फसलों पर ही जीवनयापन करते हैं, लेकिन इस बार बारिश न होने से निराश हैं। दूसरी और जहां सिंचाई की सुविधा है, तो वहां फसलों को कोहरे की भारी मार ङोलनी पड़ रही है, ऐसे में दोनों स्थितियों में गेहूं पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। कहीं कोहरे के कारण जल रही है, तो कहीं सूखे के कारण मुरझाने लगी है। ऐसे में किसान और क्षेत्रवासी दोनों ही बेहद परेशान है।
अस्पतालों में लग रही भीड-
शुष्क मौसम होने के कारण अस्पतालों में मरीजों की लम्बी कतारें दिखने को मिल रही है। जहां बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक सभी खासी, जुकाम, बुखार व जोड़ों की दर्द से परेशान है। ऐसे में बीमार लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ठंड में क्यों बढ़ जाती है जोड़ों में दर्द इस मौसम में जोड़ों के दर्द व अकड़न के बढ़ने के कई कारण है। जहां ठंठ में तापमान कम होने के कारण ब्लड बेसल्ड सिकुड़ जाती हैं, जिस कारण ब्लड फ्लो कम हो जाता है और जोड़ों में दर्द ज्यादा महसूस होने लगता है। वहीं सर्दियों मौसम में शारीरिक गतिविधियां कम होने
के कारण भी ऐसा हो सकता है।
बढ़ती ठंठ से बढ़ रहे सड़क हादसे-
बढ़ती ठंठ के साथ जब धुंध की मार पड़ती है, तब-तब सड़क हादसों में भी वृद्धि होती है। आंकड़ों की बात करें तो जिला में हर दूसरे- तीसरे दिन सड़क हादसों में किसी न किसी को जान गवानी पड़ रही है, जिसका मुख्य कारण तेज गति में वाहन चलाना है और ऐसे में ठंठ व धुंध के बीच सुरक्षित रहने में ही भलाई है। इसलिए ‘दुर्घटना से देरी भली’ के संदेश को सभी को अपनाना बेहद जरूरी है।