नई दिल्ली: चीन में फैल रहे ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस संक्रमण को लेकर डर की स्थिति बढ़ गई है। भारत में भी इस वायरस के केसों की पुष्टि हुई। इस बीच चिकित्सकों और विशेषज्ञों का कहना है कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस कोई नया वायरस नहीं है, इसका अस्तित्व दुनिया में करीब 60 साल से माना जा रहा है। इसके प्रभावों को लेकर डब्ल्यूएचओ से लेकर अलग-अलग स्वास्थ्य संस्थानों ने सावधान रहने को कहा है, हालांकि इसे बड़ा खतरा नहीं माना जा रहा है। भारत में एचएमपीवी से जुड़े 8 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से पहले मामले सोमवार को आए थे, जब कर्नाटक में दो बच्चों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इनमें से एक संक्रमित बच्चे को डिस्चार्ज भी कर दिया गया। इसके बाद तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र में एचएमपीवी से जुड़े केस दर्ज हुए।
चीन में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के फैलने की खबरें सबसे पहले आई थीं। चीन के इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फेक्शियस डिजीज के निदेशक कैन बियाओ ने बताया था कि 14 साल से कम उम्र के बच्चों में एचएमपीवी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। हालांकि, उन्होंने इससे जुड़ा कोई आंकड़ा नहीं दिया। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस वायरस से चीन का उत्तरी हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित है। वहीं, वियतनाम से जुड़ी एक सरकारी वेबसाइट ने चीन के ‘हो ची मिन्ह’ शहर की पिछले साल की स्थिति का जिक्र कर अब की स्थिति दर्शाने की कोशिश की है। इसके मुताबिक, 2023 के दिसंबर से 2024 के मार्च तक चीन में हर महीने ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के 16 हजार से 18 हजार मामले तक दर्ज हुए थे। इसी शहर का 2023 का डाटा सामने रखते हुए वेबसाइट ने बताया कि तब सांस से जुड़ी बीमारियों के 15 फीसदी मामले एचएमपीवी वायरस की वजह से ही थे।