कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता MM Lawrence की बेटियों की वह अपील बुधवार को खारिज कर दी, जिसमें लॉरेंस के पार्थिव शरीर को यहां सरकारी मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के बजाय उन्हें सौंपने का अनुरोध किया गया था। मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एस मनु की पीठ ने दिवंगत नेता की बेटी आशा लॉरेंस और सुजाता बोबन की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने पिता के पार्थिव शरीर को मेडिकल कॉलेज को सौंपने के एकल न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी है। आशा लॉरेंस की ओर से पेश अधिवक्ता कृष्ण राज आर ने खंडपीठ के फैसले की पुष्टि की और कहा कि उनकी मुवक्किल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करेंगी। विस्तृत निर्णय का इंतजार है।
पार्थिव शरीर को मेडिकल कॉलेज को सौंपने के फैसले का किया विरोध
इसी साल 21 सितंबर को लॉरेंस का निधन हो गया था और उनके पार्थिव शरीर को एर्नाकुलम टाउन हॉल में श्रद्धांजलि के लिए रखा गया था, लेकिन 23 सितंबर को उस वक्त नाटकीय दृश्य देखने को मिला था जब दिवंगत नेता की बेटी आशा लॉरेंस ने उनके पार्थिव शरीर को मेडिकल कॉलेज को सौंपने के फैसले का विरोध किया। उन्होंने अपने भाई-बहनों द्वारा उनके पिता के पार्थिव शरीर को शैक्षणिक उद्देश्य़ों के लिए मेडिकल कॉलेज को दान करने के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया। उसकी बहन सुजाता बोबन भी बाद में उच्च न्यायालय पहुंच गईं। उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने 23 अक्टूबर को उनकी याचिकाओं को खारिज दिया, जिसके बाद उन्होंने इसके खिलाफ अपील दायर की। मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने कहा था कि लॉरेंस के बेटे एम एल सजीवन द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, कम्युनिस्ट नेता ने मार्च 2024 में दो गवाहों के सामने अपने पार्थिव शरीर को शैक्षणिक उद्देश्य़ों के वास्ते कॉलेज को सौंपने के लिए अपनी सहमति दी थी।