नई दिल्लीः भारत इस समय वायु प्रदूषण (Air Pollution) के स्तर में चिंताजनक वृद्धि का सामना कर रहा है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है। जैसे-जैसे देश इस बढ़ते संकट से जूझ रहा है, विशेषज्ञ और अधिकारी आबादी पर प्रदूषित हवा के खतरनाक प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल समाधान तलाश रहे हैं। विशेषकर पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रदूषण का बढ़ता स्तर एक बढ़ती हुई चिंता का विषय बन गया है। औद्योगिक उत्सजर्न, वाहन प्रदूषण, निर्माण गतिविधियां, कृषि पद्धतियां और मौसम संबंधी स्थितियों सहित कई कारणों से कई प्रमुख शहरों और क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता खराब हुई है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अधिकारी ने कहा, ’कम तापमान और शांत हवा का संयोजन देश भर में प्रदूषण स्तर में वृद्धि का एक कारण है। उन्होंने कहा कि एक बार हवा की गति बढ़ने पर हवा की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है।’ जब हवा की गति लगभग 10 किमी प्रति घंटे से अधिक न हो तो प्रदूषणशांत परिस्थितियों में जमा हो जाता हैं। 15 किमी प्रति घंटे या उससे अधिक की गति प्रदूषण के फैलाव में सहायक होती है जो वस्तुत: हवा को साफ करती है। विशेषज्ञों का कहना है, ‘हवा किस दिशा में बहती है यह उसकी गति जितनी ही महत्वपूर्ण है। पराली जलाने के मौसम में मध्यम गति की उत्तर-पश्चिमी हवाएं पंजाब और हरियाणा में खेतों की आग से निकलने वाले धुएं को NCR और उससे आगे तक ले जाती हैं। दिसंबर, जनवरी में पूर्वी हवाएं प्रदूषकों को भारत के गंगा के मैदानी इलाकों से NCR की ओर धकेल सकती हैं।’
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCV) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, कई भारतीय शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार बहुत खराब से खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। देश की राजधानी अक्सर खुद को इस संकट में सबसे आगे पाती है, जहां पीएम2.5 और पीएम10 का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा अनुशंसित सुरक्षित सीमा से अधिक है। मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और बैंगलोर जैसे अन्य शहर भी उच्च स्तर के प्रदूषण से जूझ रहे हैं।
इस वायु प्रदूषण संकट के स्वास्थ्य परिणाम गंभीर हैं। अध्ययनों ने खराब वायु गुणवत्ता के लंबे समय तक संपर्क को विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से जोड़ा है, जिनमें श्वसन समस्याएं, हृदय रोग और यहां तक कि समय से पहले मौत भी शामिल है। बच्चे और बुजुर्ग वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील हैं। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के विवेक नांगिया ने कहा कि वायु प्रदूषण सबसे बड़े वैश्विक पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरे के रूप में उभरा है, जिससे बीमारियां और समय से पहले मौतें हो रही हैं।