Mallikarjun Kharge और Rahul Gandhi ने स्वामीनाथन के निधन पर जताया दुख

नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के कई अन्य नेताओं ने जानेमाने कृषि वैज्ञनिक एवं भारत में हरित क्रांति के प्रणोता एम एस स्वामीनाथन के निधन पर बृहस्पतिवार को दुख जताया और भारत के कृषि क्षेत्र में उनके योगदान को याद किया। प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन का उम्र संबंधी.

नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी के कई अन्य नेताओं ने जानेमाने कृषि वैज्ञनिक एवं भारत में हरित क्रांति के प्रणोता एम एस स्वामीनाथन के निधन पर बृहस्पतिवार को दुख जताया और भारत के कृषि क्षेत्र में उनके योगदान को याद किया। प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन का उम्र संबंधी बीमारी के कारण बृहस्पतिवार को चेन्नई में निधन हो गया। वह 98 साल के थे। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताते हुए कहा, ‘‘ भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में परिवर्तनकारी योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित स्वामीनाथन को हमेशा याद रखा जाएगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत को न केवल एक महान वैज्ञनिक की कमी खलेगी बल्कि एक राष्ट्रीय प्रतीक की भी कमी खलेगी जिसने हमारे लोगों के बीच वैज्ञनिक सोच को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।’’

राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन की दृढ़ प्रतिबद्धता ने हमें एक ऐसे देश में तब्दील कर दिया जो अपनी जरूरत से अधिक खाद्यन्न उत्पादन करता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हरित क्रांति के जनक के रूप में उनकी विरासत को हमेशा याद किया जाएगा। इस दुख की घड़ी में उनके प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं।’’

कांग्रेस महासचिव और पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने भी स्वामीनाथन के निधन पर दुख जताया और उनके योगदान की सराहना की। रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘वह एक महान संस्थान निर्माता, एक प्रेरक शिक्षक, एक प्रेरक नेतृत्वकर्ता थे। लेकिन इन सबसे ऊपर वह विनम्रता और संयम की प्रतिमूर्ति थे।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अप्रैल 1972 में कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग स्थापित किया था और इसका श्रेय स्वामीनाथन को ही जाता है।’’ उन्होंने स्वामीनाथन के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘पारिस्थितिकी स्थिरता की अनिवार्यताओं को ध्यान में रखते हुए वह हरित क्रांति का आह्वान करने वाले पहले व्यक्ति थे, जिसे उन्होंने सदाबहार क्रांति कहा..वह हमेशा एक आदर्श बने रहेंगे। मैं उनके नियमित संपर्क में था और हर बातचीत मेरे लिए ज्ञान का स्नेत होती थी।’’

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